नई दिल्ली। नये मोटर वाहन संशोधन कानून के तहत जुर्माना बढ़ाये जाने के विरोध में दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में गुरुवार को कैब आपरेटर, ऑटो रिक्शा, स्थानीय बसों, टेंपो और परिवहन के अन्य साधनों की हड़ताल के कारण लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। दिल्ली मेट्रो और दिल्ली परिवहन निगम की बस सेवा हालांकि हड़ताल से प्रभावित नहीं हुई लेकिन सभी लोगों के आवागमन के लिए इन दोनों विकल्पों का सहारा लेने के कारण काफी भीड़भाड़ रही। निजी वैन, कैब और बसों की हड़ताल के कारण राजधानी के ज्यादातर स्कूल बंद रहें। दिल्ली घूमने आये पर्यटकों को भी ऑटो रिक्शा की हड़ताल के कारण अपने गंतव्य तक पहुंचने में बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
बताया जा रहा है कि कुछ ऑटो रिक्शा वालों ने सड़क पर उतरने का प्रयास भी किया लेकिन ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ने उन्हें रोक दिया। गुरुग्राम में सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी में कार्यरत एक अधिकारी ने बताया कि कैब उपलब्ध नहीं होने के कारण उन्हें छुट्टी लेनी पड़ी। ओला और उबर जैसी कंपनियों समेत ज्यादातर कैब ऑपरेटरों ने हड़ताल में हिस्सा लिया है। हड़ताल में 40 से अधिक ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन और यूनियनों ने हिस्सा लिया। इन संगठनों के पदाधिकारियों ने कहा कि दिल्ली और केंद्र दोनों ही सरकारें इस हड़ताल के लिए जिम्मेदार हैं क्योंकि ट्रांसपोर्टर्स पिछले दो सप्ताह से अपनी शिकायतों के समाधान की मांग कर रहे थे लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया।
हड़ताली ऑटो रिक्शा वालों ने सवाल उठाया कि जब अन्य राज्यों में राज्य सरकार जुर्माना कम कर सकती है तो दिल्ली सरकार क्यों नहीं। उन्होंने कहा कि कई बार सिग्नल खराब होने अथवा कुछ अन्य कारणों से अनजाने में भी यातायात नियमों का उल्लंघन हो जाता है। ऐसे में चालक की कोई गलती नहीं होती और उसे भारी जुर्माना भरना पड़ता है। कॉरपोरेट सेक्टर और बहुराष्ट्रीय कंपनियों में काम करने वाली महिला कर्मचारियों को हड़ताल के कारण अपने कार्यालयों तक पहुंचने में काफी परेशानी हुई। खास तौर पर दिल्ली से गुरुग्राम और नोएडा तक की यात्रा करने वाली महिलाओं को कैब नहीं मिलने के कारण अपने कार्यस्थल पर पहुंचने के लिए मशक्कत करनी पड़ी।