नई दिल्ली। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा शनिवार को दिए बयान पर विवाद शुरू हो गया है। संत खेमें में योगी के बयान को लेकर नाराजगी है। संतों का कहना है कि रामलला सत्ता देते भी हैं और सत्ता छीनते भी हैं, 2019 में सत्ता बीजेपी को मिलने वाली नहीं है। बता दें कि सीएम योगी ने शनिवार को एक कार्यक्रम में राम मंदिर निर्माण से संबंधित सवाल के जवाब में कहा था कि 'जो कार्य होना है वह होकर ही रहेगा, उसे कोई टाल नहीं सकता, नियती ने जो तय किया है, वह होकर ही रहेगा।'
बयान पर संतों की प्रतिक्रियाएं
मुख्यमंत्री के इस बयान की आलोचना करते हुए अयोध्या के संतों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। श्री रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सतेंद्र दास ने इस पर कहा कि दो सांसदों से लेकर सत्ता तक बीजेपी को भगवान राम ने भेजा। यही नेता सत्ता में रहने के बाद अयोध्या आकर भाषा बदल लेते हैं। उन्होंने कहा कि गिरगिट के समान भाषा और स्वरूप बदलना भगवान राम के साथ धोखा है। आचार्य सतेंद्र दास ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए सवाल पूछा कि आपके घोषणा पत्र में राम मंदिर था, उसका क्या होगा?
अयोध्या तपस्वी छावनी के महंत स्वामी परमहंस ने कहा कि सीएम योगी आदित्यनाथ का बयान अनुचित है। भगवान राम की कृपा से बीजेपी सत्ता में आई। यह नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ का कर्तव्य है कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण करें। अगर ऐसा नहीं हुआ तो एक अक्टूबर से आमरण अनशन करेंगे।
बाबरी के पक्षकार का समर्थन
वहीं दूसरी ओर अयोध्या बाबरी मस्जिद पक्षकार इकबाल अंसारी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि लोग अनहोनी वाले काम को अल्लाह और भगवान पर छोड़ते हैं। मामला अभी अदालत में है, फैसला अदालत को करना है। अल्लाह और भगवान चाहेंगे तब फैसला हो जाएगा। चाहे मंदिर बने या मस्जिद, सीएम योगी आदित्यनाथ ने जो कहा ठीक कहा, वह संत हैं, उन्हें भगवान पर विश्वास है। श्रीराम जन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य महंत कमलनयन दास ने भी सीएम योगी के बयान का समर्थन किया है। महंत कमलनयन दास का कहना है कि सीएम योगी आदित्यनाथ के मन में राम जन्मभूमि को लेकर पीड़ा बहुत है। वह चाहते हैं कि राम मंदिर बने, संत समाज आश्वस्त है कि अक्टूबर तक सुप्रीम कोर्ट फैसला देगा। अक्टूबर तक फैसला नहीं आया तो संत महात्मा हिन्दू समाज सब तरह से राम मंदिर के लिए तैयार हैं।