नई दिल्ली। राष्ट्रीय बाल अधिकार सुरक्षा समिति (एनसीपीसीआर) की एक सोशल आॅडिट रिपोर्ट में देश के बाल गृहों की भयावह स्थिति सामने आई है। सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश की गई रिपोर्ट में सामने आया है कि ज्यादातर बाल पोषण गृह अनिवार्य मानकों और नियमों को अनदेखा कर रहे हैं और बहुत कम बाल गृह ही नियमों के मुताबिक चल रहे हैं।
एनसीपीसीआर ने वकील अनिंदिता पुजारी को सौंपी रिपोर्ट में कहा, 'शुरुआती जांच में और हल्के विश्लेषण में ही यह बात सामने आई है कि बहुत कम बाल गृह हैं जो नियमों का पालन कर रहे हैं। कई जांच समितियों ने पाया है कि इनमें से बहुत कम ही कागज पर डेटा तैयार कर रहे हैं और किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के मानकों पर खरे उतरे हैं।'
केवल 54 को मिले पॉजिटिव रिव्यू
एनसीपीसीआर ने बताया, 'उदाहरण के लिए अब तक जांच दलों द्वारा देखे गए कुल 2,874 बाल आश्रय गृहों में से केवल 54 को ही सभी छह जांच समितियों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। बाकी सभी मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं। इसी तरह अब तक आॅडिट किए गए 185 शेल्टर होम्स में से केवल 19 में ही सभी बच्चों के 14 रिकॉर्ड्स मिले हैं जिनका होना जरूरी है।'
सामने आए थे यौन हिंसा के मामले
बीते दिनों बिहार के मुजफ्फरपुर और उत्तर प्रदेश में बालिका गृह में यौन शोषण के मामले सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने देश भर के ऐसे बालगृहों की आॅडिट रिपोर्ट मांगी थी। एनसीपीसीआर ने जस्टिस मदन बी लोकुर, एस अब्दुल नजीर और दीपक गुप्ता की बेंच को इस बारे में जानकारी दी।
मुजफ्फरपुर केस की जांच से हाई कोर्ट असंतुष्ट
पटना। मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन शोषण मामले की जांच कर रही सीबीआई को एक बार फिर पटना हाई कोर्ट ने फटकार लगाई। इस मामले की जांच करने वाले सीबीआई एसपी जेपी मिश्रा के तबादले पर सीबीआई ने संतोषजनक जवाब नहीं दिया, इससे नाराज हाई कोर्ट ने सीबीआई को कड़ी फटकार लगाई और नए सिरे से मामले की जांच करने का आदेश भी दिया। कोर्ट ने राज्य सरकार को शेल्टर होम के बारे में पूरा ब्योरा कोर्ट में पेश करने को कहा है।
पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मुकेश आर. शाह की दो सदस्यीय खंडपीठ ने सीबीआई डीआईजी या एसपी की जगह अब बालिका यौन शोषण मामले की जांच की मॉनिटरिंग का काम स्पेशल डायरेक्टर के हवाले कर दिया है। यानी अब वे ही पूरे प्रकरण की जांच की मॉनिटरिंग करेंगे। कोर्ट ने जांच में तेजी लाने के लिए सीबीआई को अपनी देखरेख में एक एसआईटी गठित करने का भी निर्देश दिया है। कोर्ट ने अब तक की जांच में असंतुष्टि जाहिर की है। मामले की अगली सुनावाई 17 सितंबर को होगी।