नई दिल्ली। महिला और बाल विकास मंत्रालय के सर्वे में सामने आया है कि जेल में रह रही महिलाओं की स्थिति बेहद खराब है। कई जगह उन्हें नारकीय जीवन जीना पड़ रहा है। जेलों में इनके लिए एकसमान कानून भी नहीं है। अब इस स्थिति को सुधारने के लिए महिला और बाल विकास मंत्रालय ने एक रेग्युलेशन बनाने की पहल की है। ताकि जेलों में रह रही हजारों महिलाओं को जेल में अपने स्वास्थ्य और सम्मान से समझौता न करना पड़े। महिला और बाल विकास मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक मंत्रालय ने देश की 70 अलग-अलग जेलों में महिलाओं की स्थिति का सर्वे कराया। इसमें पाया कि उन्हें जेलों में बहुत कुछ बर्दाश्त करना पड़ता है।
कहीं उन्हें पूरे दिन पानी नहीं मिलता, कहीं खाना बहुत खराब है तो कहीं पीरियड्स के दौरान भी उनका लिहाज करने वाला कोई नहीं है। कहीं-कहीं तो पूरे महीने में सिर्फ 5 सैनिटरी पैड उपलब्ध कराए जा रहे हैं। महिला और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा कि हमें जेलों में रह रही महिलाओं की चिंता है इसलिए हमने दिल्ली लॉ यूनिवर्सिटी से नियम बनाने को कहा है जिस पर वह काम कर रहा है।
नियमों में बताया जाएगा कि जेल में क्या होना चाहिए, क्या नहीं और महिलाओं के साथ किस तरह बर्ताव करना है, उनकी दिक्कतें क्या-क्या हैं, जिन्हें समझना जरूरी है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा हमारे पास 70 जेलों में सर्वे के नतीजे भी हैं जिससे निकले निष्कर्ष के आधार पर लॉ यूनिवर्सिटी के प्रस्तावित रेग्युलेशन को मिलाकर हम हर जेल के लिए एक समान रेग्युलेशन तैयार करेंगे। उन्होंने बताया कि कानूनन सभी जेलों को इसका पालन करना होगा। गांधी ने कहा कि ऐसा नहीं है कि जेल में रह रही सभी महिलाएं गुनहगार हैं। काफी महिलाएं अंडर ट्रायल हैं जो किसी की भाभी या दूसरी रिश्तेदार हैं और 498 ए की वजह से जेल में हैं।