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बुलेट ट्रेन प्रॉजेक्ट में आम और चीकू के किसानों का अड़ंगा

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 14 2018 9:45AM | Updated Date: Jun 14 2018 9:45AM
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नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन प्रॉजेक्ट पर आम और चीकू पैदा करने वाले किसानों के मुद्दों के चलते अड़ंगा लगता दिख रहा है। महाराष्ट्र में आम और चीकू पैदा करने वाले महाराष्ट्र में बुलेट ट्रेन प्रॉजेक्ट के लिए जमीन अधिग्रहण का विरोध कर रहे हैं और उन्हें स्थानीय नेताओं की ओर से भी समर्थन मिल रहा है।
 
फल उत्पादकों ने बुलेट प्रॉजेक्ट के लिए अपनी जमीन के अधिग्रहण को लेकर विरोध के स्वर तेज कर दिए हैं। किसानों का कहना है कि वह बिना वैकल्पिक रोजगार की गारंटी मिले अपनी जमीनें सरेंडर नहीं करेंगे। जापान की फंडिंग से प्रस्तावित 17 अरब डॉलर की यह परियोजना फल उत्पादकों के विरोध के चलते दिसंबर तक जमीन अधिग्रहण के अपने लक्ष्य से भी चूक सकती है।
 
किसानों का यह विरोध परियोजना के समक्ष सबसे बड़ी बाधा के तौर पर आ खड़ा हुआ है। महाराष्ट्र में करीब 108 किलोमीटर लंबे इस हिस्से में बुलेट प्रॉजेक्ट को विरोध झेलना पड़ रहा है, जो पूरी परियोजना के करीब 5वां हिस्से के बराबर है। यह प्रस्तावित बुलेट परियोजना देश की आर्थिक राजधानी मुंबई को गुजरात के सबसे बड़े कमर्शल शहर अहमदाबाद को जोड़ेगी। 
 
सरकार ने इस प्रॉजेक्ट के जमीन अधिग्रहण के लिए किसानों से बाजार मूल्य से 25 फीसदी अधिक दाम पर जमीन लेने का प्रस्ताव दिया है। इसके अलावा रीसेटलमेंट के लिए 5 लाख रुपये देने का प्रस्ताव है या फिर भूमि की कुल कीमत का 50 फीसदी तक देने की बात कही गई है। 5 लाख रुपये या फिर जमीन की आधी कीमत में से जो अधिक होगा, वह किसान को देने का प्रस्ताव है।

2022 में प्रॉजेक्ट पूरा करना चाहती है मोदी सरकार 
एक अधिकारी ने बताया कि जापान की चिंताओं का समाधान करने के लिए टोक्यो में भारतीय अधिकारियों ने परिवहन विभाग के अधिकारियों के साथ एक मीटिंग की योजना बनाई है। अधिकारियों के मुताबिक भारत सरकार बुलेट परियोजना को 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य रख सकती है। असल में सरकार चाहती है कि भारत की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के मौके पर यह परियोजना पूरी हो जाए। 
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