कोलकाता। अक्षय ऊर्जा स्रोतों से निर्बाध बिजली आपूर्ति के लिए ब्रिटेन और आईआईटी के विशेषज्ञ साथ मिलकर एक नए मॉडल पर काम कर रहे हैं जो सौर ऊर्जा, जैव ऊर्जा और हाइड्रोजन का मिश्रण है। जैव ईंधन और कंसनट्रेटिंग फोटोवोलटिक (सीपीएम) प्रणाली के एकीकरण और विकास पर पहली ब्रिटिश-भारतीय प्रयोगात्मक जैव- सीपीवी परियोजना जल्द ही कोलकाता से 180 किलोमीटर दूर शांतिनिकेतन की एक बस्ती में शुरू की जाएगी।
परियोजना से जुड़ी प्रोफेसर शिबानी चौधरी ने कहा, सौर ऊर्जा पर निर्भरता के साथ दिक्कत है कि सूरज की रोशनी चौबीसों घंटे और साल भर नहीं रहती। उन्होंने कहा कि यह पहली बार है जब हरित ऊर्जा के तीनों स्रोतों को भारत में मिलाया जाएगा। शुरूआती काम इस साल अक्तूबर में शुरू होने की उम्मीद है और पूरा मॉडल 2016 तक तैयार हो जाएगा।
शांति निकेतन स्थित विश्वभारती विश्वविद्यालय में पर्यावरण विषय पढ़ाने वाली चौधरी ने बताया कि दिन के दौरान सौर ऊर्जा और रात के समय जैव सामग्रियों के स्थानीय स्रोतों से जैव र्इंधन को साथ मिलाने का विचार है। आपात जरूरत के लिए हाइड्रोजन का भी इस्तेमाल किया जाएगा। ब्रिटेन-भारत अध्ययन परियोजना में रिसर्च कौंसिल यूके (आरसीयूके) और भारत का विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग मदद कर रहा है।