नई दिल्ली। अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद मामले में शुक्रवार को सुनवाई के दौरान फिर सुप्रीम कोर्ट में भारी हंगामा हुआ। वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने सुनवाई कर रही पीठ से सवाल किया कि मुसलमानों में प्रचलित बहुविवाह ज्यादा महत्वपूर्ण मामला है या अयोध्या? कुछ दिन पहले कोर्ट ने बहुविवाह को महत्वपूर्ण मामला मानते हुए संविधान पीठ के पास भेजा, वही मानदंड अपनाते हुए इसे भी संविधान पीठ के पास भेजा जाए। धवन इस पर तत्काल फैसला दिए जाने की मांग लेकर कोर्ट में करीब 45 मिनट तक अड़े रहे।
यह मामला अयोध्या में जमीन के मालिकाना हक के मुद्दे को संविधान पीठ भेजने का नहीं है। यह 1994 के इस्माइल फारुखी फैसले में मस्जिद को इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं मानने वाली व्यवस्था को पुनर्विचार के लिए संविधान पीठ को भेजने का है। फारुखी का फैसला अयोध्या में जमीन अधिग्रहण पर आया था। मुस्लिम पक्षकार एम. सिद्दीकी के वकील राजीव धवन ने फैसले के इस अंश पर आपत्ति उठाई थी। इस पर कोर्ट ने इसी मुद्दे पर सुनवाई शुरू की थी।
हिंदू पक्ष की आपत्ति
धवन की दलीलों और उनके तरीके पर एएसजी तुषार मेहता और मनिंदर सिंह ने आपत्ति उठाई। हिंदू पक्ष के वकील सीएस वैद्यनाथन ने कहा कोई कैसे कह सकता है कि अभी फैसला दो। प्रेस के आगे बताओ। जस्टिस अशोक भूषण ने धवन से कहा कि वे इस मामले में प्रेस को न शामिल करें।
धार्मिक स्थलों की तुलना गलत
धवन ने फारुखी फैसले को गलत बताते हुए कहा कोर्ट धार्मिक स्थलों की तुलना कैसे कर सकता है। इस फैसले में कोर्ट ने हिंदुओं और मुस्लिमों के धार्मिक स्थल की ज्यादा और कम महत्वपूर्ण होने के आधार पर तुलना की। यह गलत है। कोर्ट को जमीन अधिग्रहण से आगे केस की मेरिट पर कुछ नहीं बोलना चाहिए था।
धवन बोले, बकवास मत करो
वरिष्ठ वकील धवन प्रतिवादी वकीलों से लगभग सटकर खड़े थे। एएसजी मनिंदर सिंह ने उनसे थोड़ा खिसकने को कहा तो वे बोले कि मैं यहीं खड़ा रहूंगा। यहां से मुझे चीफ जस्टिस सीधे दिखते हैं। सिंह ने फिर कहा कि थोड़ा खिसक जाएं तो धवन ने जोर से कहा कि सिट डाउन मिस्टर मनिंदर सिंह, सिट डाउन। बकवास मत करो। इस पर सिंह बोले बकवास आप कर रहे हैं। वरिष्ठ वकील के. परासरन और सीएस वैद्यनाथन ने भी धवन के व्यवहार पर आपत्ति जताई।