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भारत बंद: पिता को कंधे पर लादकर ले गया अस्पताल, हुई मौत

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Apr 3 2018 9:56AM | Updated Date: Apr 3 2018 9:56AM
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के एससी-एसटी एक्ट के तहत तत्काल गिरफ्तारी पर रोक के फैसले के खिलाफ सोमवार को कई संगठनों द्वारा बुलाए गए भारत बंद प्रदर्शन के तहत देश के अनेक राज्यों में हिंसक प्रदर्शन हुए। कई राज्यों में तोड़-फोड़, आगजनी और फायरिंग में 9 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। सबसे अधिक हिंसा मध्य प्रदेश के भिंड, मुरैना, डबरा और ग्वालियर में हुई, जिसमें 6 की जान चली गई। जबकि उत्तर प्रदेश में दो और राजस्थान में एक की मौत हो गई।
 
उत्तर प्रदेश के बिजनौर में एक ऐसा मामला सामना आया जहां प्रदर्शनकारियों के हिंसक प्रदर्शन के चलते एंबुलेंस अस्पताल नहीं पहुंच सकी और मजबूरी में बेटे को एंबुलेंस में सफर कर रहे पिता को कंधे पर अस्पताल ले जाना पड़ा। लगभग एक किलोमीटर का सफर पैदल तय करने के बाद जब बेटा अस्पताल पहुंचा तो डॉक्टरों ने पिता को मृत घोषित कर दिया। 
 
प्रदेशमध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार और पंजाब सहित अन्य स्थानों पर आगजनी, गोलीबारी और तोड़फोड़ की खबरों के बीच कई राज्यों ने बंद के मद्देनजर शैक्षणिक संस्थानों को बंद रखने का आदेश दिया था और संचार एवं रेल समेत परिवहन सेवाएं अस्थायी तौर पर रोक दी थीं। स्थिति पर काबू पाने के लिये प्रशासन को ग्वालियर शहर के चार थाना क्षेत्रों और कुछ कस्बों में कर्फ्यू तथा तीन शहरों में धारा 144 लागू करनी पड़ी।
 
राजस्थान के अलवर में हिंसा के दौरान पवन कुमार नामक शख्स की मौत हो गई, जबकि जयपुर, अजमेर, जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर और उदयपुर समेत राज्य के अन्य हिस्सों से भी हिसा की खबरें हैं। वहीं उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में भी हिंसा भड़क उठी। प्रदर्शनकारियों ने हापुड़, आगरा, मेरठ, सहरानपुर और वाराणसी में पुलिस पर पत्थर बरसाए और दुकानों को लूट लिया। 
 
सर्वोच्च न्यायालय ने 20 मार्च को दिए अपने आदेश में कहा कि इस अधिनियम के अंतर्गत आरोपियों की गिरफ्तारी अनिवार्य नहीं है और प्रथमदृष्टया जांच और संबंधित अधिकारियों की अनुमति के बाद ही कठोर कार्रवाई की जा सकती है। यदि प्रथम दृष्टया मामला नहीं बनता है तो अग्रिम जमानत देने पर पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं है। एफआईआर दर्ज होने के बाद आरोपी की तत्काल गिरफ्तारी नहीं होगी। इसके पहले आरोपों की डीएसपी स्तर का अधिकारी जांच करेगा।
 
यदि कोई सरकारी कर्मचारी अधिनियम का दुरुपयोग करता है तो उसकी गिरफ्तारी के लिए विभागीय अधिकारी की अनुमति जरूरी होगी। अगर किसी आम आदमी पर इस एक्ट के तहत केस दर्ज होता है, तो उसकी भी गिरफ्तारी तुरंत नहीं होगी। उसकी गिरफ्तारी के लिए एसपी या एसएसपी से इजाजत लेनी होगी। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार शीर्ष अदालत द्वारा दिए गए तर्क से सहमत नहीं है।
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