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2G स्पेक्ट्रम घोटलाः आरोप साबित करने में नाकाम रहा अभियोजन पक्ष, सभी आरोपी बरी

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Dec 21 2017 11:25AM | Updated Date: Dec 22 2017 11:13AM
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नई दिल्ली। यूपीए सरकार के दौरान बहुचर्चित 2जी घोटाले पर गुरुवार को सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। कोर्ट ने ए राजा, कनिमोई सहित सभी 18 आरोपियों को इस मामले में बरी कर दिया है।
 
स्पेशल कोर्ट के जज ने ओ पी सैनी ने अपने फैसले में कहा, मुझे यह कहते हुए कोई संकोच नहीं है कि अभियोजन इस मामले में आरोप साबित करने में बुरी तरह विफल रहा है कि दो पक्षों के बीच पैसे का लेन-देन हुआ है। सैनी ने कहा कि सीबीआई ने तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया है, सीबीआई के सभी दावे झूठे थे।
 
इस मामले में सीबीआई ने आरोप लगाया था कि 2जी स्पेक्ट्रम लाइसेंसों के आवंटन के दौरान 30,984 करोड़ रुपए के राजस्व की हानि हुई। सुप्रीम कोर्ट ने दो फरवरी, 2012 को इन आवंटनों को रद्द कर दिया था। 
 
बता दें कि, 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले के मामले के 17 आरोपियों में 14 व्यक्ति और तीन कंपनियां (रिलायंस टेलिकॉम, स्वान टेलिकॉम, यूनिटेक) शामिल थीं। इस मामले में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा, डीएमके सांसद कनिमोई सहित कई हाई-प्रोफाइल लोग आरोपी थे। सभी ने फैसले का स्वागत किया है और द्रमुक कार्यकर्ताओं ने अपने नेताओं के बरी होने पर जमकर जश्न मनाया।
 
क्या है 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला?
2010 में आई कैग की रिपोर्ट में 2008 में बांटे गए स्पेक्ट्रम पर सवाल उठाए गए थे। इसमें बताया गया था कि स्पेक्ट्रम की नीलामी के बजाए 'पहले आओ, पहले पाओ' के आधार पर इसे बांटा गया था। इससे सरकार को एक लाख 76 हजार करोड़ रुपए का घाटा हुआ था। ये भी बताया गया था कि नीलामी के आधार पर लाइसेंस बांटे जाते तो यह रकम सरकार के खजाने में जाती। 
 
दिसंबर 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में स्पेशल कोर्ट बनाने पर विचार करने को कहा था। 2011 में पहली बार स्पेक्ट्रम घोटाला सामने आने के बाद अदालत ने इसमें 17 आरोपियों को शुरूआती दोषी मानकर 6 महीने की सजा सुनाई थी।
 
गलत तरीके से जारी हुए लाइसेंस
इन तमाम आरोपियों के खिलाफ कोर्ट ने अक्टूबर 2011 में आपराधिक षड़यंत्र, धोखाधड़ी, फजीर्वाड़ा, पद का दुरुपयोग सहित तमाम आरोप तय किए थे। सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में कहा था कि 2जी मामले में 122 लोगों को गलत तरह से लाइसेंस जारी किए गए थे, जिसकी वजह से सरकार को 30984 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा था, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2012 में यह सभी लाइसेंस रद्द कर दिए थे।
 
कई दिग्गज हैं शामिल 
इस मामले में सीबीआई ने अभी तक कुल 154 लोगों के बयान दर्ज किए हैं, जिसमें अनिल अंबानी, टीना अंबानी, नीरा राडिया के नाम भी शामिल हैं। आपको बता दें कि इन तमाम मामलो में छह महीने से लेकर उम्रकैद की सजा का प्रावधान है। वहीं अगर दूसरे मामले पर नजर डालें तो इसमे एस्सार ग्रुप के प्रमोटर रवि रुइया, अंशुमान रुइया, लूप टेलीकॉम के प्रमोटर किरण खेतान व उनके पति आईपी खेतान, के साथ एस्सार ग्रुप के निदेशक विकास श्रॉफ शामिल हैं। वहीं तीसरे मामले में ईडी ने ए राजा, कनिमोई, शाहिद बलवा समेत 19 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी।
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