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सड़क हादसे में मृतक की भविष्य की संभावनाएं देख मिलेगा मुआ...

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Nov 1 2017 11:54AM | Updated Date: Nov 1 2017 11:57AM
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में सड़क दुर्घ।ना में मारे गये व्यक्ति के आश्रितों को मुआवजे का आदेश देते समय मृतक की ‘‘भावी संभावनाओं’ पर विचार किया जायेगा। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के सामने ऐसे अनेक पेचीदा सवाल थे कि क्या सड़क दुर्घटना में मारे गये व्यक्ति, जो अपना काम करता था या निजी अथवा असंगठित क्षेत्र में एक निर्धारित वेतन पर काम करता था, के आश्रित ‘भावी संभावना’ की मद के अंतर्गत मृतक को मिलने वाले वेतन का एक निश्चित प्रतिशत जोड़ने के बाद मुआवजा राशि में वृद्धि करा सकता है।

संविधान पीठ ने मानकीकरण के सिद्धांत को स्वीकार करते हुये कहा कि यदि मृतक के पास स्थाई नौकरी थी और वह 40 वर्ष से कम आयु का था तो आमदनी का निर्धारण करते समय उसकी भावी संभावना के रूप में उसके वास्तविक वेतन का 50 प्रतिशत आमदनी में जोड़ा जाना चाहिए। इसी तरह यदि मृतक की आयु 40 से 50 साल के बीच हो तो इसमें 30 प्रतिशत जोड़ा जाना चाहिए। इसी तरह यदि मृतक 50 से 60 साल की आयु का हो तो इसमें 15 प्रतिशत जोड़ा जाना चाहिए।
 
संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति ए के सीकरी, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड और न्यायमूर्ति अशोक भूषण शामिल थे। संविधान पीठ ने स्वरोजगार वाले या निजी क्षेत्र में काम करने वाले व्यक्ति के मामले में आश्रितों को मुआवजा देते समय ‘भावी संभावना’ की मद के तहत मृतक की आमदनी या वेतन के प्रतिशत का भी निर्धारण किया है। यदि स्वरोजगार या निजी क्षेत्र में एक निर्धारित वेतन पर काम करने वाला मृतक 40 साल से कम उम्र का था तो उसकी स्थापित आमदनी का 40 प्रतिशत जोड़ा जायेगा। ऐसे ही मृतक के 40 से 50 वर्ष की आयु के बीच का होने की स्थिति में 25 प्रतिशत और 50 से 60 वर्ष की आयु के मृतक के मामले में दस फीसदी अतिरक्त जोड़ने का तरीका होना चाहिए।

 

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