नई दिल्ली। चुनाव आयोग के पास अगले साल सितंबर तक लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराने के लिए जरूरी संसाधन हो जाएंगे। इसके लिए 40 लाख इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और वीवीपैट की जरूरत होगी, जिनकी आपूर्ति का सिलसिला शुरू हो गया है। यह बात भारत निर्वाचन आयोग के निर्वाचन आयुक्त ओपी रावत ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय भोपाल में ईआरओ नेट का शुभारंभ करने के बाद मीडिया से चर्चा में एक सवाल में जवाब में कही।
रावत ने बताया कि केंद्र सरकार ने आयोग से एक साथ चुनाव कराने को लेकर पूछा था। उन्हें बताया गया था कि इतनी तादाद में ईवीएम और वीवीपैट नहीं हैं। इसके लिए यदि धनराशि दी जाती है तो हम सक्षम होंगे। केंद्र ने ईवीएम के लिए 12 हजार करोड़ रुपए और वीवीपैट के लिए 3 हजार 400 करोड़ रुपये मुहैया कराए हैं। मशीनों की आपूर्ति का काम शुरू हो गया है। सितंबर 2018 तक संसाधन के तौर पर आयोग एक साथ चुनाव कराने में सक्षम होगा पर इसके लिए नियम, कानूनों में संशोधन के लिए केंद्र को कई कदम उठाने होंगे, इसलिए हम नहीं कह सकते हैं कि कब तक एक साथ चुनाव कराए जा सकेंगे।
ई-वोटिंग का अधिकार मतदाताओं को दिए जाने के सवाल पर निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि ईआरओ नेट को इस दिशा में पहली या दूसरी सीढ़ी माना जा सकता है। वैसे भी सर्विस वोटर्स को ऑनलाइन फॉर्म दिए जाने लगे हैं। वे इसके जरिए अपना वोट डालकर भेज देते हैं। मतदाता सूची को आधार से जोड़ने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में इसको लेकर मामला विचाराधीन है।