नई दिल्ली। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित हवा से हवा में मार करने वाली अस्त्र मिसाइल के विकास के अंतिम चरण का बंगाल की खाड़ी पर सफल परीक्षण किया गया।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार ओडिशा की चांदीपुर स्थित परीक्षण रेंज में दृष्टि से आगे मार करने वाली इस मिसाइल के 11 से 14 सितम्बर के बीच सात परीक्षण किए गए। इन परीक्षणों में मानवरहित यानों को लक्ष्य बनाकर वार किए गए जो पूरी तरह सफल रहे।
इस मिशन के तहत लक्ष्य को जहां तक नजर जाती है उससे भी आगे रखा गया था और इसमें एक साथ कई लक्ष्यों को भेदने के लिए कई मिसाइल एक साथ छोडी गई। इस दौरान सभी प्रणालियों ने सही तरीके से काम किया और निशाना पूरी तरह अचूक रहा। दो मिसाइलों को युद्ध की व्यूह रचना के अनुसार मुखास्त्र के साथ दागा गया और ये अपने लक्ष्यों को भेदने में सफल रही।
रक्षा मंत्री ने दी बधाई
इस कामयाबी के लिए रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने डीआरडीओ, वायु सेना और मिसाइल विकसित करने से जुडी सभी एजेन्सियों को बधाई दी है। वहीं डीआरडीओ के अध्यक्ष एवं रक्षा विभाग के सचिव डॉ. एस क्रिस्टोफर ने टीम को इस सफलता के लिए बधाई दी।
इसके साथ ही डीआरडीओ ने वायु सेना के साथ मिलकर इस अत्याधुनिक मिसाइल की अस्त्र प्रणाली के विकास से संबंधित चरण को पूरा कर लिया है। हिन्दुस्तान एरोनोटिक्स लिमिटेड ने शस्त्र प्रणाली लगाने के लिए विमान में बदलाव करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके साथ ही सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की 50 से अधिक कंपनियों ने अस्त्र प्रणाली के विकास में योगदान दिया है। इस सारे अभियान का नेतृत्व कार्यक्रम निदेशक डा एस वेणुगोपाल ने किया।