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6 किमी पैदल चलकर स्कूल जाते थे रामनाथ कोविंद, जश्‍न में डूबा गांव

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 20 2017 5:16PM | Updated Date: Jul 20 2017 5:16PM
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नई दिल्‍ली। राष्ट्रपति चुनाव में रामनाथ कोविंद की शानदार जीत के बाद उनका गांव और बचपन का स्कूल जश्न में डूब गया। कानपुर के कल्यानपुर में महाऋषि दयानन्द मोहल्ला स्थित रामनाथ कोविंद के घर में जीत का जश्न मनाया जा रहा है। घर को झालरों से सजाया गया है। टेन्ट और कुर्सियां लगाकर पूरे मोहल्ले के लोग जश्न मनाने को एकजुट हो रहे हैं। पड़ोसी ढोल बजाकर डांस और आतिशबाजी कर रहे है। रामनाथ कोविंद का यहां पहला घर है, जो उन्होंने गांव से आने के बाद खुद अपनी कमाई से बनवाया था। यहीं पर उनके बच्चों के जन्म हुए थे। उनके परिवार के सदस्य यहां रहते थे। हालांकि बाद में वे दिल्ली में रहने लगे।

कोविंद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक रहे पहले राष्ट्रपति होंगे। इनके राजनीतिक सफर में कई मोड़ आए। इन्होंने कई तरह की भूमिका निभाई. इन्होंने एक समाज सेवी, एक वकील और एक राज्यसभा सांसद के तौर पर काम किया। लेकिन इनकी पिछली पृष्टभूमि में जाए तो वो एक बहुत ही साधारण इंसान थे।

गरीबी में गुजरा बचपन

कोविंद का जन्म एक बहुत ही साधारण परिवार में हुआ। उस वक्त देश अंग्रेजों का गुलाम था। उस समय दलित होना किसी अपराध से कम न था। कोविंद का बचपन गरीबी में गुजरा। पर इन सभी मुसीबतों को भेदते हुए कोविंद आज उस मुकाम पर खड़े हैं, जहां उनकी कलम से हिंदुस्तान की तकदीर लिखी जाएगी। उनका गांव भी खुद को इतिहास के पन्नों में देख रहा है।

दरियादिल इंसान है कोविंद

गांव में रहने वाले रामनाथ कोविंद के साथियों को जहां उनकी काबिलियत पर नाज है। वहीं कोविंद की दरियादिली के भी वो कायल हैं। गरीबी में पैदा हुए रामनाथ कोविंद आगे चलकर एक नामी वकील हुए। बिहार के राज्यपाल भी बने, लेकिन जायदाद के नाम पर उनके पास आज भी कुछ नहीं है। एक घर था वो भी गांववालों को दान कर दिया।

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