इंदौर। आखिर गाय किस तरह देखते ही देखते देश का सबसे बड़ा मुद्दा बन गई। अचानक से पूरा देश गाय विरोधी और गाय प्रेमी के दो समुदाय में बंट गया। देश की अदालतें भी सक्रिय हो गई। मद्रास हाईकोर्ट और राजस्थान हाईकोर्ट ने दो अलग अलग फैसले दिए। राजस्थान हाईकोर्ट ने गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग की है।
आखिर गाय को राष्ट्रीय तमगा देने सा क्या हासिल हो जाएगा। यदि राष्ट्रीय होने से चीज़ें बदलती है तो, गाय को पशु भी न कहा जाए। राष्ट्रीय पशु से बेहतर है गाय को राष्ट्रमाता घोषित कर दिया जाए। पशुओं की खरीद-फरोख्त के संबंध में केंद्र सरकार के नए नोटिफिकेशन पर मद्रास हाईकोर्ट द्वारा चार हफ्ते की रोक के आदेश के ठीक एक दिन बाद राजस्थान हाईकोर्ट ने भी एक बड़ा फैसला सुनाया है।
राजस्थान हाईकोर्ट ने बहुचर्चित हिंगोनिया गौशाला मामले में अपने फैसले में कहा है कि केंद्र सरकार से गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करवाने के लिए राज्य सरकार प्रयास करे। साथ ही गोकशी करने वालों को आजीवन कारावास का प्रावधान कानून में शामिल करवाए राजस्थान हाईकोर्ट ने बहुचर्चित हिंगोनिया गौशाला मामले में 7 साल बाद अपना फैसला सुनाया है।
खास बात यह है कि इस मामले की सुनवाई करने वाले मुख्य न्यायाधीश महेश चंद शर्मा ने अपने रिटायरमेंट के दिन बुधवार को अपना आखिरी फैसला सुनाया। फैसले में कहा गया है कि केंद्र से गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करवाने के लिए केंद्र सरकार के सामने पक्ष रखने के लिए मुख्य सचिव और महाधिवक्ता कार्यवाही करे। हाईकोर्ट ने इस मामले को लेकर कमेटी भी बनाने के निर्देश दिए हैं।
राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसले में कहा है कि हिंगोनिया गौशाला में भ्रष्टाचार की जांच एसीबी करे। कोर्ट ने एडीजे को हर तीन महीने में गोशाला को लेकर रिपोर्ट तैयार करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने यूडीएच सचिव और निगम आयुक्त सहित सम्बंधित अफसरों को महीने में एक बार गौशाला का दौरा करने के निर्देश दिए।