नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को ट्रिपल तलाक पर सुनवाई पूरी हो गई है। 6 दिन की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। इससे पहले पांच जजों की बेंच के सामने ट्रिपल तलाक पर सुनवाई के दौरान गुरुवार को मुख्य याचिकाकर्ता सायरा बानो के वकील अमित चढ्ढा अपनी दलीलें पेश की।
अमित चड्ढा ने कोर्ट में कहा कि मेरी राय में ट्रिपल तलाक एक पाप है और मेरे व मेरे खुदा के बीच में बाधा है। वहीं बुधवार को अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने ट्रिपल तलाक खत्म करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जोरदार ढंग से पैरवी की। रोहतगी ने कहा कि यह बहुसंख्यक बनाम अल्पसंख्यक का मुद्दा नहीं है।
तीन तलाक की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाले एक याचिकाकर्ता की तरफ से न्यायालय में पेश हुईं वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि न्यायालय मामले पर पिछले 67 वर्षो के संदर्भ में गौर कर रहा है, जब मौलिक अधिकार अस्तित्व में आया था न कि 1,400 साल पहले जब इस्लाम अस्तित्व में आया था।
उन्होंने कहा कि न्यायालय को तलाक के सामाजिक नतीजों का समाधान करना चाहिए, जिसमें महिलाओं का सबकुछ लुट जाता है। संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत कानून के समक्ष बराबर तथा कानून के समान संरक्षण का हवाला देते हुए जयसिंह ने कहा कि धार्मिक आस्था तथा प्रथाओं के आधार पर देश महिलाओं व पुरुषों के बीच किसी भी तरह के मतभेद को मान्यता न देने को बाध्य है।
सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक पर चल रही बहस में बुधवार को केंद्र ने पूरी मजबूती से अपनी दलीलों को शीर्ष कोर्ट के सामने रखा। अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि केंद्र अभी ट्रिपल तलाक पर बहस कर रहा है, लेकिन वह तलाक के सभी मौजूदा तरीकों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस मुद्दे पर एक कदम आगे बढ़ाकर विधेयक लाने को भी तैयार है।