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तीन तलाक खत्म कर दें तो नया कानून बनाएंगे: केंद्र ने SC से कहा

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 15 2017 12:32PM | Updated Date: May 15 2017 12:57PM
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक के मामले पर सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने जानकारी दी कि तीन तलाक पर सरकार क़ानून लाएगी। सोमवार को अटॉर्नी जनरल ने बताया कि अगर सुप्रीम कोर्ट मुस्लिमों के तलाक की तीनों प्रक्रिया को गैर कानूनी ठहराता है तो सरकार इस बाबत कानून लाएगी।

सुप्रीम कोर्ट को जानकारी देते हुए अटॉर्नी जनरल ने कहा, 'सरकार किसी को भी अधूरे में नहीं छोड़ेगी। तलाक की सही प्रक्रिया तय की जाएगी। अटॉर्नी जनरल का ये बयान सुप्रीम कोर्ट के उस सवाल पर आया जिसमें सरकार की ओर से कहा गया था कि तलाक की तीनों प्रक्रिया एकतरफा है। अगर तीनों को खत्म कर दिया जाता है तो मुसलमान आखिर तलाक कैसे देगा।

तलाक की तीनों प्रक्रिया का विरोध

बता दें कि सरकार ने अपने हलफनामें में सिर्फ तीन तलाक का विरोध किया था। जिसे तलाक-ए-बिद्दत कहते हैं। जबकि तलाक की दो अन्य प्रक्रिया - तलाक-ए-एहसन और तलाक-ए-हसना का समर्थन किया था। लेकिन बहस के दौरान एजी ने तीनों प्रक्रिया का विरोध किया।

तीन तलाक की प्रथा सबसे खराब 

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने विवाह विच्छेद के लिए तीन तलाक देने की प्रथा 'सबसे खराब' है और यह 'वांछनीय नहीं' है। चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संविधान पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा था, 'ऐसे भी संगठन हैं जो कहते हैं कि तीन तलाक वैध है, परंतु मुस्लिम समुदाय में विवाह विच्छेद का यह सबसे खराब तरीका है और यह वांछनीय नहीं है।'

खुर्शीद को कोर्ट ने क्या निर्देश दिए थे

संविधान पीठ ने यह टिप्पणी उस वक्त की थी जब पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने कहा था कि यह ऐसा मसला नहीं है जिसकी न्यायिक जांच की जरूरत हो। वैसे भी महिलाओं को निकाहनामा में ही इस बारे में शर्त लिखवाकर तीन तलाक को 'नहीं' कहने का अधिकार है। सलमान खुर्शीद व्यक्तिगत हैसियत से इस मामले में कोर्ट की मदद कर रहे हैं।

कोर्ट ने खुर्शीद से कहा कि वह उन इस्लामिक ओैर गैर इस्लामिक देशों की सूची तैयार करें जिनमें तीन तलाक पर प्रतिबंध लगाया गया है। पीठ को तब सूचित किया गया कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान, मोरक्को और सऊदी अरब जैसे देश शादी में अलग होने के लिये तीन तलाक की अनुमति नहीं देते हैं। एक पीड़ित की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी ने अपनी बहस में अधिक बेबाकी दिखाई और समता के अधिकार सहित संविधान के विभिन्न आधारों पर तीन तलाक की परंपरा की आलोचना की।

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