इटानगर। अरुणाचल प्रदेश के कुछ जगहों के नाम बदलने को लेकर राज्य के नेताओं ने चीन पर निशाना साधा है। अरुणाचल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष तार नाचुंग ने कहा कि क्या बीजिंग का नाम मुंबई कर देने से चीन की राजधानी भारत का हिस्सा हो जाएगी। नाचुंग ने कहा, क्या बीजिंग का नाम मुंबई कर देने से चीन की राजधानी भारतीय सीमा में आ जाएगी? दलगत राजनीति से ऊपर उठकर नेताओं और आम लोगों ने चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश के छह स्थलों के नाम बदलने की निंदा की।
चीन का दावा निराधार : भाजपा
अरुणाचल की भाजपा इकाई के अध्यक्ष तापिर गाव ने कहा कि अरुणाचल पर चीन का दावा निराधार है। उन्होंने कहा, चीन ने 1959 में तिब्बत पर कब्जा किया और वह अरुणाचल प्रदेश को हथियाना चाहता है। गाव ने कहा कि तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय मंचों पर कई बार कहा है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा है। उन्होंने कहा, इसलिए चीन द्वारा अरुणाचल में स्थानों के नाम बदलना निराधार है और बीजिंग को इतिहास से सीखना चाहिए कि उसने तिब्बत पर जबरन कब्जा जमाया है और उसका दावा निरर्थक है। चीन के कदम की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि भारत की चीन के साथ कोई सीमा नहीं है, लेकिन तिब्बत के साथ 1914 से है, जब मैकमोहन ने शिमला में सीमा को लेकर चीनी प्रतिनिधि के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किया था।
चीन के दावे में कोई दम नहीं: कांग्रेस
अरुणाचल प्रदेश कांग्रेस की मुख्य सचिव शकुंतला डी. गामलिन ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, हमें इस मुद्दे पर कुछ नहीं कहना है, क्योंकि विदेश मंत्रालय इस मामले को देखेगा। वहीं वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री नबाम तुकी ने बीजिंग पर निशाना साधा और कहा, चीन के दावे में कोई दम नहीं है। हर कोई जानता है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा है। केंद्र को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए और मामले को हमेशा के लिए खत्म करना चाहिए।