नई दिल्ली। बाबरी विध्वंस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने आज अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि आडवाणी, जोशी, उमा भारती समेत 13 पर आपराधिक साजिश का केस चलेगा। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने रोजाना सुनवाई के आदेश दिए हैं। साथ ही कोर्ट ने कहा कि 2 साल में मामले की सुनवाई पूरी की जाए। हालांकि कोर्ट ने मामले में राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह राहत दी है।
सीबीआई ने कोर्ट से बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी और मध्य प्रदेश की पूर्व सीएम उमा भारती सहित 13 नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश का मुकदमा चलने की मांग की है। सीबीआई की ओर से पेश वकील नीरज किशन कौल ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी कि रायबरेली की कोर्ट में चल रहे मामले को भी लखनऊ की स्पेशल कोर्ट में ट्रांसफर कर ज्वाइंट ट्रायल होना चाहिए।
1992 में बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले में बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी, यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती समेत 13 नेताओं पर आपराधिक साजिश रचने के आरोप हटाए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई थी। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि महज टेक्निकल ग्राउंड पर इनको राहत नहीं दी जा सकती और इनके खिलाफ साजिश का ट्रायल चलना चाहिए।
बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले में दो अलग-अलग अदालतों में चल रही सुनवाई एक जगह क्यों न हो? कोर्ट ने पूछा था कि रायबरेली में चल रहे मामले की सुनवाई को क्यों न लखनऊ ट्रांसफर कर दिया जाए, जहां कारसेवकों से जुड़े एक मामले की सुनवाई पहले से ही चल रही है।
वहीं लालकृष्ण आडवाणी की ओर से इसका विरोध किया गया। कहा गया कि इस मामले में 183 गवाहों को फिर से बुलाना पड़ेगा जो काफी मुश्किल है। कोर्ट को साजिश के मामले की दोबारा सुनवाई के आदेश नहीं देने चाहिए।
इससे संबंधित अपीलों में इलाहाबाद हाईकोर्ट के 20 मई 2010 के आदेश को खारिज करने का आग्रह किया गया है। हाईकोर्ट ने विशेष अदालत के फैसले की पुष्टि करते हुए भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी (आपराधिक साजिश) हटा दी थी। पिछले साल सितंबर में सीबीआई ने शीर्ष अदालत से कहा था कि उसकी नीति निर्धारण प्रक्रिया किसी से भी प्रभावित नहीं होती और वरिष्ठ भाजपा नेताओं पर से आपराधिक साजिश रचने के आरोप हटाने की कार्रवाई उसके (एजेंसी के) कहने पर नहीं हुई।