नई दिल्ली। आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर की संस्था आॅर्ट आॅफ लिविंग (एओएल) के विश्व सांस्कृतिक महोत्सव से यमुना के डूब क्षेत्र को पूरी तरह बर्बाद कर दिया। एक विशेषज्ञ समिति ने राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) से यह बात कही है। इसके साथ ही इसने कहा कि श्रीश्री के इस कार्यक्रम से यमुना की पारिस्थिति को हुए नुकसान को ठीक करने में 13.29 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल मार्च में हुए इस महोत्सव की वजह से यमुना के डूब क्षेत्र में पनपने वाली जैव विविधता वहां से हमेशा के लिए गायब हो गई है।
जहां स्टेज लगा, वहां हुआ सबसे ज्यादा नुकसान
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सबसे ज्यादा नुकसान उस जगह को पहुंचा है जहां पर रविशंकर ने अपना विशालकाय स्टेज लगवाया था। समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि अब यमुना किनारे की इस जमीन को उसी पुराने स्वरूप में वापस लाने की जरूरत है, जैसी वह कार्यक्रम से कुछ महीनों पहले तक थी। दरअसल, पिछले साल 11 से 13 मार्च के बीच यमुना किनारे हुए इस महोत्सव से पहुंचे पर्यावरण को नुकसान के मद्देनजर एनजीटी ने श्रीश्री रविशंकर की आर्ट आॅफ लिविंग पर पांच करोड़ का जुर्माना लगाया था। तब आर्ट आॅफ लिविंग ने काफी हील-हुज्जत के बाद यह जुर्माना चुका तो दिया था, हालांकि अब समिति की इस रिपोर्ट के बाद संभावना है कि एनजीटी जुर्माने की यह राशि बढ़ा सकती है।
पिछले साल लगा था पांच करोड़ रुपए का जुर्माना
दरअसल, पिछले साल 11 से 13 मार्च के बीच यमुना किनारे हुए इस महोत्सव से पहुंचे पर्यावरण को नुकसान के मद्देनजर चार सदस्यों वाली एक समिति ने शुरू में सिफारिश की थी कि श्रीश्री रविशंकर की आर्ट आॅफ लिविंग फाउंडेशन को यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र को हुए गंभीर नुकसान के कारण पुनर्वास लागत के तौर पर 100-120 करोड़ रुपए का भुगतान करना चाहिए। हालांकि बाद में इसे घटा कर पांच करोड़ रुपए का अंतरिम पर्यावरण जुर्माना लगाया था, आर्ट आॅफ लिविंग ने काफी हील-हुज्जत के बाद चुका दिया था। ऐसे में अब समिति की इस रिपोर्ट के बाद संभावना है कि एनजीटी जुर्माने की यह राशि बढ़ा सकती है।