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देश में असहिष्णु भारतीय के लिए कोई स्थान नहीं: राष्ट्रपति

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Mar 3 2017 12:25AM | Updated Date: Mar 3 2017 12:39AM
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कोच्चि/ नई दिल्ल। दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामजस कॉलेज में जारी विवाद के बीच राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी न गुरुवार को देश की सभी यूनिवर्सिटीज को सुझाव दिया कि वे अशांति के माहौल को बढ़ावा देने के बजाए तर्कसंगत बहस की प्रवृति को बढ़ाए और देश में किसी भी असहिष्णु भारतीय के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए।

      
कोच्चि में केएस राजामौनी मैमोरियल लेक्चर के दौरान अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि देश के विभिन्न यूनिवर्सिटीज को अपने परिसर में अशांति के माहौल को बढ़ावा देने के बजाए तार्किक वाद-विवाद को प्रोत्साहन देना चाहिए।
 
राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्र उद्देश्य और देशभक्ति की भावना को बढ़ावा देकर ही हम अपने देश को सतत विकास और समृद्धि के मार्ग पर ले जा सकते हैं। राष्ट्रपति ने देशवासियों से राष्ट्र की बहुसंस्कृति और सांस्कृतिक विविधता एवं विभिन्नता को और मजबूत बनाने का प्रयास करने की अपील की।
 
दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामजस कॉलेज में प्रतिद्वंदी छात्र संघों एबीवीपी और आईसा के बीच जारी तनाव पर राष्ट्रपति ने कहा कि ज्ञान के  इन मंदिरों में स्वतंत्र दृष्टिकोण, ,सोच के अलावा सृजनात्मकता का माहौल होना चाहिए।
 
राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कहा कि भारत प्राचीन काल से ही स्वतंत्र विचार, वाक एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गढ़ रहा है। श्री मुखर्जी ने कहा कि प्राचीन काल से ही हमारे समाज में स्वतंत्र विचारों को अपनाया गया है और विभिन्न मुद्दों पर खुली बहस होती रही है।
    
गौरतलब है कि रामजस कॉलेज के एक कार्यक्रम में जेएनयू के विवादित छात्र उमर खालिद और जेएनयू छात्र संघ की नेता शहला राशिद को आमंत्रित करने वाले आयोजकों के साथ एबीवीपी ने मारपीट की थी जिसके बाद वहां छात्रों के दो गुटों के बीच हिसंक झड़प हो गई थी। वामदल समर्थक छात्र संगठन आइसा का आरोप है कि मारपीट एबीवीपी के कार्यकतार्ओं ने की जबकि एबीवीपी ने इस आरोप को गलत बताया है।  
       
उल्लेखनीय है कि पिछले साल जेएनयू के कुछ छात्रों पर राष्ट्रविरोधी नारे लगाने को लेकर पुलिस ने राष्ट्रद्रोह के मामले दर्ज किए थे। जेएनयू और दिल्ली यूनिवर्सिटी को दिए गए अपने संदेश में राष्ट्रपति ने कहा कि यूनिवर्सिटीज को अपने कैंपस  में अशांति के माहौल को बढ़ावा देने के बजाए तार्किक वाद-विवाद को प्रोत्साहन देना चाहिए। राष्ट्रपति ने  दिल्ली यूनिवर्सिटी में दो गुटों के बीच हुई हिंसा को  दुखद बताया है।

 

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