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VIDEO: इधर भी गधे...उधर भी गधे...जिधर देखता हूं गधे ही गधे हैं...

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Feb 26 2017 1:14PM | Updated Date: Feb 26 2017 1:14PM
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नई दिल्‍ली। आम आदमी पार्टी (आप) के नेता और कवि कुमार विश्वास ने ‘गधे’ वाले विवाद पर एक वीडियो पोस्ट किया है। वीडियो में कुमार विश्वास हास्य कवि स्वर्गीय ओमप्रकाश आदित्य की एक कविता सुनाते हैं। विश्वास ने कविता सुनाने से पहले साफ कर दिया कि ये कविता उनकी लिखी हुई नहीं है। उन्होंने बताया कि गधों पर ये कविता प्रसिद्ध हास्य कवि स्वर्गीय ओम प्रकाश आदित्य ने लिखी थी, उन्होंने बस इस कविता का पाठन किया है। करीब 2 मिनट 32 सेकंड की ये कविता को उन्होंने अपने ऑफिसियल यूट्यूब और ट्विटर हैंडल पर भी शेयर की है। 

इस वीडियो में कुमार कह रहे हैं, ये फाल्गुन का महीना है और लोकतंत्र का महापर्व चुनाव चल रहा है लेकिन वैशाख नंदन गधा इस समय अनायास ही प्रसंग में है, चर्चा में है, मुझे हिंदी कवि सम्मेलनों के आचार्य हास्य कवि स्व. ओम प्रकाश ‘आदित्य’ की एक लोकप्रिय कविता याद आ गई। कविता में विश्वास गाते हैं, इधर भी गधे हैं...उधर भी गधे हैं...जिधर देखता हूं गधे ही गधे हैं... गधे हंस रहे हैं...आदमी रो रहा है हिंदुस्तान में यह क्या हो रहा है?
 
गधे खा रहे चवन्प्राश 
कुमार विश्वास आगे गाते हैं- जवानी का आलम गधों के लिए है, ये रसिया ये बालम गधों के लिए है, ये दिल्ली ये पालम गधों के लिए है, ये संसार सालम गधों के लिए है, पिलाए जा साकी, पिलाए जा डटके, तू विसकी के मटके के मटके के मटके, मैं दुनिया को भूलना चाहता हूं, गधों की तरह अब झूमना चाहता हूं और घोड़ों को नहीं मिलती घास देखो, गधे खा रहे चवन्प्राश देखो।’
 
जो माइक पर चीखे वह असली गधा
इसके बाद कुमार विश्वास कहते हैं- जो गलियों में डोले वह कच्चा गधा है, जो कोठे पे बोले वह सच्चा गधा है, जो खेतों में दिखे वह फसली गधा है, जो माइक पर चीखे वह असली गधा है।
 
पढ़िए वो कविता, जिसे कुमार विश्वास ने सुनाया... 
इधर भी गधे हैं, उधर भी गधे हैं 
जिधर देखता हूं, गधे ही गधे हैं। 
गधे हंस रहे, आदमी रो रहा है 
हिंदुस्तान में ये क्या हो रहा है। 
जवानी का आलम गधों के लिए है 
ये रसिया, ये बालम गधों के लिए है।
ये दिल्ली, ये पालम गधों के लिए है 
ये संसार सालम गधों के लिए है। 
पिलाए जा साकी, पिलाए जा डट के 
तू विहस्की के मटके के मटके के मटके 
मैं दुनिया को अब भूलना चाहता हूं 
गधों की तरह झूमना चाहता हूं। 
घोड़ों को मिलती नहीं घास देखो 
गधे खा रहे हैं च्यवनप्राश देखो 
यहां आदमी की कहां कब बनी है 
ये दुनिया गधों के लिए ही बनी है। 
जो गलियों में डोले वो कच्चा गधा है 
जो कोठे पे बोले वो सच्चा गधा है। 
जो खेतों में दीखे वो फसली गधा है, 
जो माइक पे चीखे वो असली गधा है। 
मैं क्या बक गया हूं, ये क्या कह गया हूं, 
नशे की पिनक में कहां बह गया हूं? 
मुझे माफ करना मैं भटका हुआ था, 
वो ठर्रा था, भीतर जो अटका हुआ था। 
इधर भी गधे हैं, उधर भी गधे हैं 
घोड़ों को मिलती नहीं घास देखो, 
गधे खा रहे हैं च्यवनप्राश देखो। 
जो खेतों में दीखे वो फसली गधा है, 
जो माइक पे चीखे वो असली गधा है।
 
ऐसे शुरू हुआ 'गधा विवाद'
 
गधे का प्रचार न करें सदी के महानायक 
आपकों बता दें कि अभी हाल में ही यूपी चुनाव के दूसरे चरण के दौरान यूपी के मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव ने 'गधे पर बयान' देकर इस‍ विवाद को शुरू किया था। लेकिन, सबसे पहले पीएम मोदी ने यूपी की रैली में कहा था कि अखिलेश यादव विज्ञापन पर काफी पैसा खर्च करते हैं। इसपर अखिलेश ने एक रैली में गुजरात के गधों का जिक्र करते हुए कहा था कि गुजरात में तो गधों का भी विज्ञापन होता है। इसके साथ ही अखिलेश ने अमिताभ बच्चन का नाम लेते हुए कहा था कि उनको गुजरात के गधों का प्रचार नहीं करना चाहिए। 
 
मोदी का अखिलेश पर पलटवार
अखिलेश के बयान के बाद मोदी भी नहीं रूके, उन्‍होंने यूपी के बहराइच में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि आप मोदी और बीजेपी पर हमला करो तो समझ सकता हूं, लेकिन अब आप गधे पर हमला कर रहे हो? गधे से भी डर लगने लगा है क्या? पीएम ने कहा, मैं गर्व से गधे से प्रेरणा लेता हूं और देश के लिए गधे की तरह काम करता हूं। सवा सौ करोड़ देशवासी मेरे मालिक हैं. गधा वफादार होता है उसे जो काम दिया जाता है वह पूरा करता है।
 
शिवराज का अखिलेश पर निशाना
अखिलेश यादव के इस बयान पर एमपी के सीएम शिवराज सिंह ने कहा कि, ये मोदी का ही टेलेंट है कि सेंचुरी में गधों को पाला गया, जिसे जनता टिकट लेकर देखने जाती है। यानी, गुजरात के गधे भी सरकार के लिए कमाई करते हैं, जबकि यूपी में युवा भी बेरोजगार हैं। शिवराज ने चुटकी लेते हुए कहा कि गधों का अधिक नाम लूंगा, तो वास्तव में गधों का अपमान हो जाएगा'।
 
अखिलेश कुंठित होकर ऐसी बातें कर रहे हैं
गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने भी अखिलेश यादव के ‘गधे’ वाले बयान को उनकी कुंठा और निराशा का सूचक बताया। रुपाणी के मुताबिक, अखिलेश को चुनावों में होने वाली अपने पराजय का पता चल गया है और इसलिए वे निराश हैं और कुंठित होकर ऐसी बातें कर रहे हैं।
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