नई दिल्ली। आय से अधिक संपत्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को शशिकला को चार साल की सजा सुनाई है। जिसके बाद शशिकला के मुख्यमंत्री बनने का सपना टूट गया। अब उन्हें जेल जाना होगा। यानी अब पन्नीरसेल्वम खेमे का पलड़ा भारी पड़ते नजर आ रहा है। उम्मीद है कि अब शशिकला के समर्थन में खड़े नजर आ रहे विधायक भी पन्नीरसेल्वम की तरफ खिसक सकते हैं। कोर्ट का फैसला आने के बाद पन्नीरसेल्वम खेमे के लोग जश्न मनाने लगे।
सपने पर फिरा पानी!
पांच फरवरी को अन्नाद्रमुक विधायक दल की नेता चुनी गईं शशिकला अब अगले 10 साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगी। इतने लंबे वक्त तक राजनीति से दूर होने से शशिकला के लिए वापसी आसान नहीं होगी। इस तरह उनके मुख्यमंत्री बनने की सपने पर पानी फिर गया।
अब चुना जाएगा नया महासचिव
जयललिता के निधन के बाद शशिकला को AIADMK का महासचिव चुना गया था। महासचिव बनने के बाद वह मुख्यमंत्री पद पर कब्जा करने के लिए भी प्रयास कर रही थीं। हालांकि अब सजा होने के बाद उनकी जगह अब पार्टी को नया महासचिव चुनना पड़ेगा।
पन्नीरसेल्वम फिर मजबूत
शशिकला को सजा होने के बाद मुख्यमंत्री पद पर ओ. पन्नीरसेल्वम का दावा फिर मजबूत हो गया है। पन्नीरसेल्वम और शशिकला के बीच सीएम पद को लेकर तकरार चल रही थी। अब कोर्ट के फैसले से पन्नीरसेल्वम के समर्थकों में भी जश्न का माहौल है।
अब क्या करेंगी शशिकला
सजा होने के बावजूद शशिकला पार्टी में अपना दखल बरकरार रखने और सत्ता में असर बनाने के लिए अपनी ओर से किसी को मुख्यमंत्री का चेहरा बना सकती हैं। जैसा कि जयललिता ने पन्नीरसेल्वम को मुख्यमंत्री घोषित करके किया था। हालांकि शशिकला के लिए यह आसान नहीं होगा।
कैसे होंगे तमिलनाडु के सियासी हालात?
- शशिकला को अब लोअर कोर्ट में सरेंडर कर जमानत की अपील करनी होगी। शशिकला सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकती हैं। लेकिन उम्मीद कम ही है कि कोर्ट उनकी अर्जी पर विचार करे।
- शशिकला पन्नीरसेल्वम की जगह अपने किसी और वफादार का नाम आगे कर सकती हैं। इसी बहाने वह सत्ता पर अपनी पकड़ कायम रख सकती हैं। संभावना ये भी है कि शशिकला के अत्यंत वफादार उनकी तरफ से मोर्चा संभाल लें और पन्नीरसेल्वम की राह में कांटे ही कांटे बिछा दें।
- शशिकला और पन्नीरसेल्वम पक्ष के विधायक खुलकर आमने-सामने आ सकते हैं। ऐसी स्थिति में पन्नीरसेल्वम सरकार बनाने में नाकाम रह सकते हैं। यानि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता।
-इस पूरे विवाद में फायदा डीएमके को होता दिख रहा है। जयललिता की मौत के बाद एआईएडीएमके की छवि बुरी तरह प्रभावित हुई है। लोगों में पार्टी की नकारात्मक छवि बनी है। ऐसे में डीएमके मौके को भुना सकती है।