नई दिल्ली। मध्य प्रदेश की व्यवसायिक परीक्षा मंडल यानी व्यापमं में सामूहिक नकल के दोषी पाए गए 634 छात्रों के दाखिले को सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को रद्द कर दिया है। हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है। इससे पहले हाईकोर्ट में भी इस मामले पर एडमीशन रद्द करने का फैसला सुनाया था जिससे 2008-2012 के बैच के इन छात्रों का तगड़ा झटका लगा है।
बेंच ने नहीं दिखाई किसी तरह की नरमी
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर की बेंच ने इस मामले की सुनवाई करते हुए छात्रों की ओर से दायर की गई सभी प्रकार की याचिकाएं खारिज कर दी। जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने छात्रों को सामूहिक नकल का दोषी माना और उन पर किसी भी प्रकार की नरमी बरतने से साफ मना कर दिया।
क्या है व्यापमं घोटाला
मध्य प्रदेश में व्यावसायिक परीक्षा मंडल राज्य में प्रवेश व भर्ती को लेकर परीक्षा आयोजित करने वाली संस्था है। इस संस्था के पास राज्य के कई प्रवेश परीक्षाओं के आयोजन की जिम्मेवारी है। कई अधिकारियों और नेताओं की मिलीभगत से हुए भ्रष्टाचार में करीब 1000 फर्जी नियुक्तियां और 514 फर्जी भर्तियां शक के दायरे में हैं। व्यापमं घोटाले से जुड़े 48 लोगों की मौत हो गई है। मरने वालों में व्यापमं घोटाले के आरोपी समेत कई हाईप्रोफाइल नाम शामिल हैं।
CBI ने खंगाले 100 मेडिकल कॉलेज के रिकॉर्ड्स, 121 फर्जी परीक्षार्थी
व्यापमं भर्ती घोटाले में सीबीआई को नई सफलता हासिल हुई है। सीबीआई ने देश के छह राज्यों, दिल्ली, यूपी, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और बिहार के 100 से ज्यादा अलग-अलग मेडिकल कॉलेज और कोचिंग संस्थानों के तकरीबन साढ़े नौ लाख स्टूडेंट रिकॉर्ड्स में से 121 फर्जी परीक्षार्थियों का पता लगाया है। यह सभी फर्जी परीक्षार्थी 2009-2010 में व्यावसायिक परीक्षा मंडल की ओर से प्री-पीजी और पीएमटी मेडिकल एग्जाम में शामिल हुए। सभी ने ऑन लाइन फॉर्म में फर्जी डिटेल्स और फोटोग्राफ का प्रयोग किया। बता दें कि इस परीक्षा में हजारों स्टूडेंट शामिल रहे हैं जबकि अब तक 300 परीक्षार्थियों की पहचान हो चुकी है।
मामले में हो चुकी हैं कई लोगों की संदिग्ध मौत
मध्य प्रदेश में विपक्षी दलों की मानें तो अब तक इस मामले में 50 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। वहीं सरकारी आंकड़े बताते हैं कि अब तक इस मामले में 27 लोगों की जान जा चुकी है। जिनमें से 17 मौतों की जांच खुद सीबीआई के जिम्मे है। इस मामले में अब तक करीब 2000 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज है। व्यापमं घोटाले से जुड़े कई अहम गवाह और जांच करने वाले अधिकारियों को मुश्किलें झेलनी पड़ीं।
घोटाले के कई गवाहों की संदिग्ध मौत हो गई। घोटाले की रिपोर्टिंग करने गए पत्रकार अक्षय सिंह की भी संदिग्ध मौत हुई थी। इसके बाद राज्य के तत्कालीन राज्यपाल रामनरेश यादव के बेटे शैलेश यादव का नाम घोटाले में सामने आने के बाद उनकी भी संदिग्ध मौत हो गई। इसमें करीब 48 लोगों की मौत की आधिकारिक जानकारी है। मामले की जांच के दौरान प्रदेश के पूर्व शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा का नाम सामने आया और 16 जून 2014 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। शर्मा व्यापमं के प्रमुख थे।