नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में पहली बार सात जजों की बेंच ने कलकत्ता हाईकोर्ट के वर्तमान जज सीएस करनन के खिलाफ अदालत की अवमानना के मामले की सुनवाई की। कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए करनन को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए 13 फरवरी को कोर्ट में पेश होने के निर्देश दिए।
चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली सात जजों की बेंच ने इस मामले में सुनवाई करते हुए यह नोटिस जारी किया है। इसके साथ ही करनन से उनके सभी प्रशासनिक और न्यायिक अधिकार छीन लिए गए हैं।
क्या है मामला ?
बता दें कि लगातार विवादों में रहने वाले जस्टिस करनन ने पिछले साल मद्रास हाईकोर्ट से अपने ट्रांसफर के कॉलेजियम के निर्देश पर खुद ही रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद उन्होंने ट्रांसफर स्वीकार किया था। अब भी वो चेन्नई में सरकारी आवास न छोड़ने पर अड़े हैं। जस्टिस करनन ने खुद सुप्रीम कोर्ट में पेश होकर अपना पक्ष रखने की इजाजत मांगी थी।
दूसरी ओर, जस्टिस करनन ने 23 जनवरी 2017 को प्रधानमंत्री को लिखी गई चिट्ठी में कहा था कि नोटबंदी से भ्रष्टाचार कम हुआ है लेकिन न्यायपालिका में मनमाने और बिना डर के भ्रष्टाचार हो रहा है। इसकी किसी एजेंसी से जांच होनी चाहिए। चिट्ठी में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के वर्तमान और पूर्व 20 जजों के नाम भी लिखे गए थे।
विवादों में रहे हैं जस्टिस करनन
जस्टिस करनन पहले भी विवादों में रहे हैं। सन् 2011 में उन्होंने मद्रास हाईकोर्ट में साथी जज के खिलाफ जातिसूचक शब्द कहने की शिकायत दर्ज करा दी थी। वर्ष 2014 में मद्रास हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति को लेकर वे तत्कालीन चीफ जस्टिस के चेंबर में घुस गए थे और बदतमीजी की थी।