नई दिल्ली। डेढ़ महीने के भीतर उत्तर प्रदेश में दो रेल हादसों ने रेलमंत्री सुरेश प्रभु की प्रतिष्ठा दांव पर लगा दी है, जिससे उन्हें अपना सौम्य व्यवहार बदलना पड़ रहा है। गुरुवार को रेलवे के तमाम आला अफसरों को उनके उग्र तेवरों का सामना करना पड़ा। यहां तक कि रेलवे बोर्ड सदस्यों और जोनल महाप्रबंधकों को डपटते हुए प्रभु ने साफ कह दिया कि काम करो, यदि आपसे नहीं होता तो अपना बोरिया बिस्तर बांध लो। इतना ही नहीं, अफसरों को सबक सिखाने के लिए प्रभु ने जापान और कोरिया के विशेषज्ञों को बुला लिया है जो उन्हें सुरक्षित ट्रेन संचालन के गुर सिखाएंगे।
पूर्व कैग विनोद राय अब रेलवे की संरक्षा प्रणालियां का आडिट करेंगे। दो साल के कार्यकाल में रेलमंत्री सुरेश प्रभु को अफसरों पर इतना क्रोधित शायद ही कभी देखा गया होगा। गुरुवार को उन्होंने रेलवे बोर्ड अध्यक्ष और सदस्यों से लेकर जोनल महाप्रबंधकों तक किसी को नहीं बख्शा। सभी को एक ही नसीहत थी कि अब ऐसा कतई नहीं चलेगा। या तो परिणाम दें, या दूसरी नौकरी देख लें।
इस दौरान जहां रेलवे बोर्ड, राइट्स और रेल विकास निगम के अधिकारी सामने थे, वहीं जीएम से वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए सवाल-जवाब हो रहे थे। यही नहीं, प्रभु ने देश-विदेश के अनेक रेलवे विशेषज्ञों से भी सलाह ली।
इनमें रेलवे संरक्षा समिति के अध्यक्ष रहे परमाणु ऊर्जा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अनिल काकोडकर शामिल हैं। प्रभु ने पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक विनोद राय की एक समिति बना दी है। यह रेलवे की तमाम संरक्षा प्रणालियों का आडिट कर खामियों का पता लगाएगी तथा संरक्षा संगठन को सुदृढ़ करने के सुझाव देगी।