नई दिल्ली। छोटी कंपनियों में काम करने वाले मजदूरों और अकुशल श्रमिकों के लिए नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार का यह फैसला सौगात साबित हो सकता है। एक अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार जल्दी ही एक आदेश जारी करने पर विचार कर रही है, जिसके तहत 10 से अधिक कर्मचारी वाली कंपनी को अपने कर्मचारियों को अपॉइंटमेंट लेटर देना होगा। सरकार का यह फैसला असंगठित क्षेत्र के करोड़ों मजदूरों के लिए राहत का सबब हो सकता है।
समस्याओं से निजात, नौकरी का होगा ठोस प्रमाण
इस मामले पर कोई कानून न होने के चलते कर्मचारियों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है। असंगठित क्षेत्र में काम कर रहे लोगों या फिर ठेकेदारी के मातहत काम करने वालों के लिए यह समस्या रहती है। ऐसे में सरकार के इस फैसले के चलते मजदूरों के पास अपनी नौकरी का ठोस प्रमाण रहेगा। इसके अलावा कंपनियों के लिए लेबर लॉ का उल्लंघन करना भी आसान नहीं होगा।
अपॉइंटमेंट लेटर अनिवार्य करने का फैसला केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के लेबर कोड का हिस्सा है, जिसे इन दिनों वह तैयार करने में जुटा है। इस प्रस्ताव के मुताबिक मैन्युफैक्चरिंग, कंस्ट्रक्शन, प्लांटेशन, माइनिंग और कुछ अन्य सेक्टर्स की कंपनियों को लोगों को नौकरी के दिन ही अपॉइंटमेंट लेटर देना होगा। भले ही इन लोगों को ठेके पर नियुक्ति दी जाए या फिर शॉर्ट टर्म के लिए रखा जाए।
मजदूरों को मिल सकेगा उनका हक
नाम उजागर न करने की शर्त पर श्रम मंत्रालय के एक सीनियर अधिकारी ने बताया, अपॉइंटमेंट लेटर किसी भी औद्योगिक विवाद में शुरुआती पॉइंट होता है। अधिकतर मामलों में कंपनियां कर्मचारियों के पास अपॉइंटमेंट लेटर न होने का फायदा उठाते हुए इस बात से ही इनकार कर देती हैं कि वह उनके यहां नियुक्त थे। ऐसे में सरकार का यह फैसला मजदूरों को उनका महत्वपूर्ण हक दिलाने का काम करेगा।