बेंगलुरु। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने यौन शोषण के आरोप में निलंबित जनता दल-सेक्यूलर (जनता-एस) नेता प्रज्वल रेवन्ना की मां भवानी रेवन्ना को अपहरण के आरोपों से संबंधित एक मामले में शुक्रवार को अंतरिम अग्रिम जमानत दे दी। उच्च न्यायालय का यह निर्णय अतिरिक्त मुख्य महानगर दंडाधिकारी (एसीएमएम) की ओर से श्रीमती भवानी के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट के जवाब में आया है। न्यायालय ने उन्हें अंतरिम राहत देते हुए पुलिस को उन्हें गिरफ्तार करने या हिरासत में लेने से परहेज करने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति कृष्ण एस दीक्षित ने जमानत का जश्न मनाने के खिलाफ चेतावनी दी और चल रही जांच में सहयोग सुनिश्चित करने की शर्त भी रखी।
न्यायालय की ओर से निर्धारित शर्तों के तहत श्रीमती भवानी को जांच में पूरा सहयोग करना होगा और शुक्रवार अपराह्न एक बजे जांच अधिकारी के समक्ष पेश होना होगा। इसके अतिरिक्त, उन्हें उन विशिष्ट क्षेत्रों में प्रवेश नहीं करने का निर्देश दिया गया, जहां कथित अपहरण हुआ था। उन पर एक महिला के अपहरण में शामिल होने का आरोप है, जिसका कथित तौर पर उसके बेटे प्रज्वल ने यौन उत्पीड़न किया था। प्रज्वल कई महिलाओं पर यौन उत्पीड़न के आरोपों और ऐसे हमलों की रिकॉर्डिंग के सिलसिले में फिलहाल गिरफ्तार है।
इस मामले ने पिछले महीने तब व्यापक ध्यान आकर्षित किया जब कर्नाटक में सार्वजनिक स्थानों पर छोड़े गये पेन ड्राइव में यौन उत्पीड़न को दर्शाने वाले 2,900 से अधिक वीडियो सामने आये। इसके बाद राजनीतिक उथल-पुथल के बीच, प्रज्वल जर्मनी चले गये, लेकिन 31 मई को भारत लौटने पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। फिलहाल उसकी 10 जून तक विशेष जांच दल की हिरासत बढ़ा दी है।
एसआईटी का प्रतिनिधित्व करने वाले विशेष लोक अभियोजक ने दावा किया है कि श्रीमती भवानी अपहरण की साजिश के पीछे मास्टरमाइंड थीं। इस मामले पर अगले सप्ताह फिर से सुनवाई होने वाली है।