गांधीनगर। अंतर्राष्ट्रीय सौर संधि और आपदा रोधी बुनियादी ढांचा गठबंधन की पहल करने के बाद भारत अब नार्वे के साथ मिलकर समुद्री कचरा निपटारे के लिए वैश्विक समझौते के विकल्प तलाशेगा। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावडेकर ने नार्वे के जलवायु एवं पर्यावरण मंत्री स्विनुंग रोतेवान के साथ रविवार को यहां द्विपक्षीय बैठक के बाद बताया कि दोनों देशों ने पर्यावरण से संबंधित कई मुददों पर चर्चा बात की। बैठक के बाद जारी 15 सूत्री बयान में कहा गया है कि दोनों मंत्रियों ने समुद्र में प्रवाहित किए जा रहे प्लास्टिक कचरे पर भी चर्चा की।
उन्होंने इस बात पर सहमति जताई कि समुद्र में जमा हो रहे प्लास्टिक कचरे की समस्या वैश्विक है तथा इसके तत्काल समाधान की जरूरत है। दोनों देशों ने इस संबंध में नये वैश्विक समझौते के समर्थन की प्रतिबद्धता जताते हुए इसके लिए विकल्प तलाशने की बात कही। प्रवासी जीवों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के सदस्य देशों की सोमवार से शुरू हो रही 13वीं बैठक से इतर दोनों देशों के बीच यह द्विपक्षीय वार्ता हुई।
रोतेवान ने कहा कि समुद्री जीवों के संरक्षण के लिए कचरा प्रबंधन और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ज्यादा से ज्यादा द्विपक्षीय समझौतों की जरूरत है। उन्होंने बताया कि दोनों पक्षों ने समुद्री कचरे के अलावा जैव विविधता, पुनर्वनीकरण और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वित्तीय मदद के मुददों पर भी चर्चा की। नार्वे भारत के साथ अपने अनुभव साझा करने के साथ ही जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए प्रौदयोगिकी के स्तर पर भी भारत की मदद करेगा।