नई दिल्ली। अन्ना आंदोलन में अरविंद केजरीवाल के प्रमुख सहयोगी रहे और दिल्ली के मंत्रिमंडल में उप मुख्यमंत्री रहे मनीष सिसोदिया की छवि एक सामाजिक कार्यकर्ता और ईमानदार राजनीतिग्य की है। सिसोदिया ने पिछले कार्यकाल के दौरान दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री के रूप में दिल्ली के सरकारी विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था में काफी सुधार किया। उन्हें पुस्तकें पढ़ना, शतरंज खेलना और यात्रा करने में विशेष रुचि है। सिसोदिया का जन्म उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के पिलखुवा गांव में पांच जनवरी 1972 को हुआ था। उनके पिता का नाम धर्मपाल विंह है।
सिसोदिया ने 1993 में भारतीय विद्या भवन से जन संचार में डिप्लोमा किया है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत पत्रकार के रूप में की। उन्होंने 1997 से 2005 तक जी न्यूज में खबर निर्माता और न्यूज रीडर के तौर पर काम किया। उन्होंने ऑ ल इंडिया रेडियो में ‘जीरो ऑ वर’ कार्यक्रम की मेजबानी भी की। सिसोदिया ने 2006 में पब्लिक कॉज रिसर्च नामक फाउंडेशन की स्थापना की। वर्ष 2011 में सिसोदिया ने ‘इंडिया अगेन्स्ट करप्शन’ अन्ना हजारे के आंदोलन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
वर्ष 2012 में मनीष सिसोदिया ने पुराने मित्र अरविंद केजरीवाल के साथ मिलकर राजनीतिक दल-आम आदमी पार्टी का गठन किया। वर्ष 2013 में पटपड़गंज विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार नकुल भारद्वाज को हराकर पहली बार विधायक बने। वर्ष 2015 में पटपड़गंज से दोबारा चुनाव जीत कर पहली बार दिल्ली के उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। सिसोदिया ने इस बार पटपड़गंज विधानसभा सीट से ही चुनाव लड़ा और भाजपा के रवींद्र सिंह नेगी को 3207 मतों से हराया। वह लगातार तीसरी बार इस सीट से विधायक चुने गए। वह परिवर्तन नामक एक गैर सरकारी संगठन में स्वयंसेवी के तौर पर भी काम कर चुके हैं।