नई दिल्ली। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने ‘मॉब लिन्चिंग’ के विरोध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखने वाले 49 बुद्धिजीवियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किए जाने की तीखी आलोचना की है और कहा है कि यह अभिव्यक्ति की आज़ादी और संविधान के खिलाफ है। भाकपा ने आज यहां जारी एक बयान में कहा है कि मॉब लिन्चिंग के खिलाफ देश के जाने-माने कलाकारों शिक्षाविदों और बुद्धिजीवियों ने मोदी को पत्र लिखकर इसे रोकने की मांग की और उल्टे हुए पुलिस ने उन पर देशद्रोह का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर दिया।
बयान में कहा गया है कि अदालत का काम संविधान के मूल्यों तथा लोकतंत्र की रक्षा करना है लेकिन उसने पुलिस को इन बुद्धिजीवियों के खिलाफ मुकदमा करने का आदेश दे दिया। पार्टी ने कहा कि देश में आजकल जिस तरह विपक्षी नेताओं को मामूली बातों पर फंसाकर जेल में डॉला जा रहा है, वह फासीवादी और तानाशाही प्रवृत्तियों का प्रमाण है। पार्टी ने राष्ट्रद्रोह कानून को वापस लेने तथा इन बुद्धिजीवियों के खिलाफ मुकदमे वापस लेने की मांग की है।