27 Apr 2024, 06:59:14 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android
news » National

मिशन Chandrayaan-2 के ऑर्बिटर ने भेजी चांद की खास तस्वीरें

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Oct 5 2019 10:40AM | Updated Date: Oct 5 2019 11:10AM
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

नई दिल्ली। मिशन चंद्रयान-2 भले ही 100 फीसदी सफल नहीं हुआ हो लेकिन आज एक बार फिर से इसरो ने चांद की कुछ तस्वीरें शेयर की हैं। जिसमें चंद्रमा की आकर्षक सतह की तस्वीरों को देखा जा सकता है। इसरो ने चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर के कैमरे से चांद की खींची तस्वीरें शुक्रवार को जारी की है। पैंक्रोमैटिक बैंड (450-800 nm) पर संचालित होता है जो 100 किमी की कक्षा से चांद की सतह पर 0.3 मीटर तक की तस्वीर ले सकता है। ऑर्बिटर के हाई रिजॉल्यूशन कैमरे से खींची इन तस्वीरों में चांद की अलग ही झलक देखने को मिल रही है। इसरो ने कहा, आर्बिटर में मौजूद आठ पेलोड ने चांद की सतह पर मौजूद तत्वों को लेकर कई सूचनाएं भेजी हैं। आर्बिटर चांद की सतह पर मौजूद आवेशित कणों का पता लगा रहा है। ऑर्बिटर के पेलोड क्लास ने अपनी जांच में चांद की मिट्टी में मौजूद कणों के बारे में पता लगाया है। यह तब संभव हुआ है, जब सूरज की तेज रोशनी में मौजूद एक्स किरणों की वजह से चांद की सतह चमक उठी। कुछ दिन पहले ही ऑर्बिटर से खींची तस्वीरों के जरिए इसरो ने विक्रम लैंडर की लोकेशन मिलने की जानकारी भी दी थी। सात सितंबर को लैंडर विक्रम को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिग नहीं हो पाई थी और विक्रम से इसरो का संपर्क टूट गया। बाद में लैंडर के हार्ड लैंडिंग की पुष्टि नासा और इसरो के वैज्ञानिकों ने भी की। अभी चांद की कक्षा में चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर मौजूद है जो 7.5 साल तक अपना काम करता रहेगा। 
 
चांद की अंधेरी सतह पर बेसुध पड़े चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम को लेकर फिर उम्मीद जगी है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अपने सौर पैनलों की मदद से विक्रम फिर काम शुरू कर सकता है। दरअसल, चांद पर शनिवार से दिन की शुरुआत हो रही है। ऐसे में विक्रम को लेकर कोई अच्छी खबर आने की उम्मीद बढ़ गई है। वहीं, भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने कहा है कि चांद के आसमान में चक्कर लगा रहा चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर सोडियम, कैल्शियम, एल्युमीनियम, सिलिकॉन, टाइटेनियम और लोहे जैसे महत्वपूर्ण खनिज तत्वों का पता लगाने के लिए काम कर रहा है। इसरो के मुताबिक, ऑर्बिटर का पेलोड अपने तय मकसद के लिए बेहतर तरीके से काम कर रहा है। वहीं, विक्रम की तलाश और उससे संपर्क करने की कोशिशों में जुटी अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने कहा है कि अब तक विक्रम से कोई आंकड़ा नहीं मिला है। खगोलविद् स्कॉट टायली ने ट्वीट कर विक्रम से संपर्क की प्रबल संभावना जताई है।
 
उन्होंने कहा है कि विक्रम को खोजने में कामयाबी जरूर मिलेगी। बताया जा रहा है कि दिन होने के साथ ही विक्रम से संपर्क करने की कोशिशें तेज होंगी। इसरो के एक वैज्ञानिक ने बताया कि हालांकि अब विक्रम से संपर्क करना बेहद मुश्किल होगा, लेकिन कोशिश करने में कोई हर्ज नहीं है। उनसे जब यह पूछा गया कि क्या चांद पर रात के समय बहुत ज्यादा ठंड में विक्रम सही सलामत रह सकता है, तो उन्होंने कहा, सिर्फ ठंड ही नहीं, बल्कि झटके से हुआ असर भी चिंता की बात है। हार्ड लैंडिंग के चलते विक्रम तेज गति से चांद की सतह पर गिरा होगा। इस झटके के चलते विक्रम के भीतर मौजूद उपकरणों को नुकसान पहुंच सकता है। चांद के चक्कर लगा रहे नासा के लुनर रिकॉनिएसेंस ऑर्बिटर ने जो तस्वीरें भेजी थीं, चांद पर रात होने के चलते उससे तस्वीरें साफ नहीं आ पाई थीं।
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »