नई दिल्ली। मुसलमानों में तलाक-ए-बिदअत (तीन तलाक) की कुप्रथा को रोकने संबंधी कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली एक और याचिका उच्चतम न्यायालय में दायर की गयी है। मुस्लिम संगठन जमीयत उलमा-ए-हिन्द ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर करके संबंधित कानून की वैधता को चुनौती दी है। याचिकाकर्ता ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकारों का संरक्षण) कानून, 2019 को निरस्त करने की मांग की है। याचिकाकर्ता के अनुसार, संबंधित कानून से संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन किया गया है। संगठन ने वकील एजाज मकबूल के माध्यम से याचिका दायर की है। इससे पहले भी इस कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाएं दायर की गयी हैं।