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तेजी से हो रहे जलवायु परिवर्तन पर मंथन हेतु शिमला में जुटे वैज्ञानिक

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 18 2019 12:33AM | Updated Date: Jul 18 2019 12:33AM
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शिमला। विश्व में बढ़ने तापमान, तेजी से हो रहे जलवायु परिवर्तन और पिघल रहे ग्लेशियरों से आने वाले समय में पानी की कमी समेत अनेक प्रकार के संकट पैदा हो सकते हैं। जलवायु परिवर्तन पर यहां चल रही कार्यशाला में भाग ले रहे अनेक राज्यों के वैज्ञानिकों ने इस पर गम्भीर चिंता व्यक्त की है। वैज्ञानिकों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण कई समस्याएं पैदा हो रही है। वैज्ञानिकों ने इस समस्या को लेकर जहां अनेक सुझाव दिये हैं वहीं वे अधिकारियों को भी इस दिशा में उठाए जाने वाले कदमों और उपायों के बारे में  प्रशिक्षण भी दे रहे हैं। राज्य के विज्ञान, पर्यावरण एवं प्रौद्योगिकी के निदेशक डी.सी. राणा ने कहा की जलवायु परिवर्तन एक सच्चाई है जिसे झुठलाया नहीं जा सकता है। साल दर साल तापमान बढ़ रहा है जिससे कई समस्याएँ पैदा हो रही हैं। 

जिसमें से एक पानी का संकट है। हर साल पानी की उपलब्धता कम हो रही। तापमान में बढ़ौतरी के कारण जलस्रोत खत्म हो रहे हैं। इससे कृषि पर भी बुरा असर पढ़ रहा है। अब सिर्फ बारिश के पानी पर ही निर्भर नहीं रहा जा सकता है। आने वाले समय में यह समस्या गम्भीर हो सकती है और इससे निपटने के लिए पहले से ही तैयारी की जानी चाहिए। पानी के संचय के लिये चेक डैम बनाये की जरूरत है ताकि भूजल स्तर बढ़े और पानी की उप्लब्धता बनी रहे है। उन्होंने कहा की ग्लेशियर पर भी जलवायु परिवर्तन का असर पड़ रहा है। ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे है जिससे नदी नालों में जल स्तर तो बढ़ रहा है लेकिन भविष्य में पानी की कमी हो सकती है। उन्होंने कहा की जलवायु परिवर्तन से बचने के लिए लोगों को अभी से तैयार होना पड़ेगा। ऐसे में लोगों को बारिश के पानी का संचय करना चाहिये। वैज्ञानिक एस. एस. रंधावा ने कहा की ग्लेशियर गत कई वर्षो से तेजी से पिघल रहे है और इनका आकार कम हो रहा है। अगर ये ग्लेशियर इसी तरह पिघलते रहे तो आने वाले समय में बहुत बड़ा खतरा पैदा हो जायेगा। प्रदेश में गत 18 सालों में करीब 20 मीटर ग्लेशियर कम हुए है।

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