नई दिल्ली। मोदी सरकार ने ‘चमकता हुआ नया भारत’ बनाने के सपने को साकार करने के लिए गाँव, गरीब, किसानों को बढ़ावा देने पर जोर देते हुये शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष के लिए 27,86,349 करोड़ रुपये का बजट पेश किया। व्यक्तिगत आयकर का स्लैब बढ़ाने की उम्मीद लगाये मध्यम वर्ग को बजट से निराशा हाथ लगी है जबकि सरकार ने उपकर के माध्यम से अमीरों पर कर बढ़ा दिया है। देश की पहली महिला पूर्णकालिक वित्त मंत्री के तौर पर निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को संसद में अपना पहला आम बजट पेश करते हुये देश को 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के रोडमैप के साथ ढाँचागत विकास के जाल को और व्यापक बनाने को तरजीह दी है। इसमें बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर सृजित करने के भी उपाय किये गये हैं।
बजट में पेट्रोल-डीजल पर कर और अधिभार बढ़ाने से आमजन और किसानों की जेब पर बोझ बढ़ेगा। हालाँकि, गरीब, किसान तथा ग्रामीण क्षेत्र में जीवन स्तर को ऊँचा उठाने के लिए सबको आवास और गैस कनेक्शन तथा पेयजल घर-घर पहुँचाने जैसी लोकप्रिय योजनाओं पर बड़ी राशि आवंटित की गयी है। सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए घरेलू तथा विदेशी निवेश बढ़ाने के उपायों की भी घोषणा की गयी है। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 3.3 प्रतिशत और राजस्व घाटा 2.3 प्रतिशत के दायरे में रखने का लक्ष्य तय किया है। इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए विनिवेश लक्ष्य बढ़ाकर 1.05 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है।
बड़े स्तर पर ढाँचागत निवेश और कल्याणकारी कार्यों के लिए संसाधन जुटाने के उद्देश्य से पेट्रोल और डीजल पर दो-दो रुपये प्रति लीटर कर बढ़ाया गया है। इसके साथ ही सोना और ऑटोमोबाइल कलपुर्जे सहित करीब 70 उत्पादों के आयात पर शुल्क में बढोतरी करने का भी ऐलान किया। पेट्रोल और डीजल के साथ कच्चे तेल पर भी कर में बढोतरी कर दी गयी। बैंकिंग सेक्टर की स्थिति मजबूत करने के लिए चालू वित्त वर्ष में सरकारी बैंकों में 70 हजार करोड़ रुपये की पूँजी डालने की घोषणा की गयी है। साथ ही गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों का नकदी संकट दूर करने के भी उपाय किये गये हैं।
अर्थव्यवस्था में नकदी का इस्तेमाल कम करने के लिए बैंक खाते से एक साल में एक करोड़ रुपये से अधिक की निकासी पर दो प्रतिशत ‘स्रोत पर कर’ लगाने का प्रस्ताव बजट में किया गया है। वित्त मंत्री ने रियलटी क्षेत्र में तेजी लाने के उद्देश्य से वित्त मंत्री ने किफायती आवासों पर ब्याज भुगतान पर आयकर छूट की सीमा मौजूदा वित्त वर्ष के लिए दो लाख रुपये से बढ़ाकर साढ़े तीन लाख रुपये करने की घोषणा की। बजट में मध्यम वर्ग और नौकरीपेशा लोगों को कोई राहत नहीं दी गयी। कर स्लैब तथा कर छूट में अंतरिम बजट में की गयी घोषणा को बरकरार रखा गया है जिससे पाँच लाख रुपये तक की आमदनी पर कोई कर नहीं लगेगा, लेकिन पाँच लाख रुपये से ज्यादा की कर योग्य आय पर पूरा कर देना होगा। अमीरों पर कर बढ़ाया गया है।
दो करोड़ रुपये से ज्यादा और पाँच करोड़ रुपये तक की आमदनी वालों के लिए अधिभार 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत किया गया है। इससे उन्हें तीन प्रतिशत ज्यादा कर देना होगा। पाँच करोड़ रुपये से ज्यादा की कर योग्य आमदनी वालों के लिए अधिभार 15 से बढ़ाकर 37 प्रतिशत किया गया है। इससे उन्हें सात फीसदी ज्यादा कर देना होगा। इस बढ़ोतरी से सरकार को 12 हजार करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है। बजट में 400 करोड़ रुपये का वार्षिक कारोबार करने वाली कंपनियों को अब 25 प्रतिशत कॉर्पोरेट कर देने का प्रस्ताव किया गया है जिससे सरकार को करीब चार हजार करोड़ रुपये का नुकसान होगा।
इसके साथ ही स्टार्टअप को बढ़वा देने तथा नयी प्रौद्योगिकी के लिए एक करोड़ युवाओं को प्रशिक्षित करने की बात कही गयी है। अगले पाँच वर्षां में इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में 100 लाख करोड़ रुपये निवेश किये जाने की आवश्यकता बतायी गयी है। रेलवे के इंफ्रास्ट्रक्चर में 30 लाख करोड़ रुपये की निवेश के लिए पीपीपी मॉडल को अपनाने पर जोर दिया गया है। इसके साथ ही एमएसएमई के लिए भी कई घोषणा की गयी है। इन घोषणाओं से उद्योग जगत में जहाँ खुशी का माहौल देखा गया वहीं शेयर बाजार को बजट रास नहीं आया और सेंसेक्स 0.99 प्रतिशत तथा निफ्टी 1.14 प्रतिशत टूटकर एक सप्ताह के निचले स्तर पर आ गया।
बजट में इलेक्ट्रिक वाहन के प्रचलन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इसके खरीद पर ब्याज भुगतान के लिए आयकर में 1.5 लाख रुपये की छूट देने का भी ऐलान किया गया है जिसका इन क्षेत्र की कंपनियों के साथ ही इससे संबंध अन्य कंपनियों से तारीफ की है। बजट घोषाणाओं से सोना-चाँदी और अन्य बेशकीमती धातुओं, काजू, पुस्तकों, ऑप्टिकल फाइबर केबल पर आयात शुल्क बढ़ाने से ये उत्पाद भी महँगे होंगे। एयरकंडीशनर, लाउस्पीकर, वीडियो रिकॉर्डर, सीसीटीवी कैमरा, वाहन के हॉर्न, तंबाकू सिगरेट और मोबाइल के पाटर्स भी शुल्क बढ़ाये जाने से महँगे होंगे। आयातित डिजिटल कैमरा, पूर्ण रूप से आयातित कार, साबुन बनाने के काम में आने वाला कच्चा माल, आयातित स्टैनलैस स्टील उत्पाद, न्यूजप्रिंट और मोबाइल फोन चार्जर आदि भी महँगे हो जायेंगे।
सीतारमण ने अगले दशक के लिए 10 सूत्री विजन का ऐलान किया जसमें जनभागीदारी, प्रदूषण मुक्त भारत, अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में डिजिटल इंडिया की पहुँच, बुनियादी तथा सामाजिक ढाँचों का निर्माण, जल प्रबंधन और नदियों को स्वच्छ करना, आत्मनिर्भरता, मेक इन इंडिया, खाद्यान्न, दालों, तिलहनों, फलों एवं सब्जियों का निर्यात बढ़ाना और आयुष्मान भारत के जरिये स्वस्थ समाज का निर्माण शामिल हैं। घरेलू स्तर पर विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए मध्यम और लघु तथा सूक्षम उद्योगों पर जोर के अलावा स्टार्टअप, रक्षा उपकरणों को देश में बनाना, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और चिकित्सा उपकरणों के क्षेत्र में मेक इन इंडिया की पहुँच को बढ़ाने पर जोर दिया गया है।
सीतारमण ने कहा कि वर्ष 2014 में देश की अर्थव्यवस्था 1.5.8 खरब डॉलर की थी जो वर्ष 2019 में बढ़कर 2.7 खरब डॉलर की हो गयी है और इसी वर्ष यह 30 खरब डॉलर की हो जायेगी। अगले कुछ वर्षा में भारतीय अर्थव्यवस्था के 50 खरब डॉलर के बनने की उम्मीद जताते हुये उन्होंने कहा कि 55 वर्षा में यह 10 खरब डॉलर पर पहुँची थी। पिछले कुछ वर्षा में अर्थव्यवस्था के विकास में जबरदस्त तेजी आयी है। उन्होंने कहा कि 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था तक पहुँचने का लक्ष्य, बुनियादी ढाँचे में भारी निवेश, डिजिटल अर्थव्यवस्था, रोजगार सृजन, नागरिकों की आशाओं, विश्वास और आकांक्षाओं से परिपूर्ण है। उन्होंने कहा कि गाँव, गरीब और किसान इस सरकार की सभी योजनाओं के केन्द्र बिन्दु हैं और उन्हें ध्यान में रखते हुये ही कार्ययोजनायें बनायी जा रही हैं।
भारत का विदेशी सरकारी ऋण जीडीपी के पाँच प्रतिशत से कम है। सरकार विदेशों से विदेशी मुद्रा में और ऋण जुटाने की संभावना तलाशेगी। उन्होंने कहा कि 2022 तक सभी को घर और हर घर को गैस तथा बिजली का कनेक्शन दिया जायेगा जबकि 2024 तक ‘हर घर जल’ का लक्ष्य हासिल किया जायेगा। स्वच्छ भारत अभियान के अगले चरण में हर गाँव में ठोस कचरा प्रबंधन की व्यवस्था की जायेगी। वित्त मंत्री ने कहा कि वर्ष 2022 तक किसानों की आय दुगुनी करने के लिए मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान बाँस, शहद और खादी के 100 नये कलस्टर बनाये जायेंगे जिससे 50 हजार शिल्पकार आर्थिक रूप से सशक्त हो सकेंगे।
उन्होंने कहा कि कृषि आधारभूत सुविधाओं के विकास पर बड़े पैमाने पर निवेश किया जायेगा तथा सहकारिता के माध्यम से डेयरी क्षेत्र का विकास किया जायेगा। उन्होंने दलहन की पैदावार में आत्मनिर्भरता के लिए किसानों की सराहना करते हुए कहा कि उन्हें विश्वास है कि तिलहनों की पैदावार में भी ऐसी सफलता मिलेगी। किसानों की मेहनत से देश का आयात खर्च कम होगा। सरकार ने रक्षा मंत्रालय के लिए आम बजट में तीन लाख 18 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया है जो पिछले वर्ष की तुलना में 23 हजार करोड़ रुपये यानी करीब आठ फीसदी अधिक है। डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए एक वर्ष में एक करोड़ रुपये की नकद निकासी पर दो प्रतिशत टीडीएस का प्रस्ताव है। साथ ही अर्थव्यवस्था में नकदी का इस्तेमाल कम करने के लिए भीम, यूपीआई, आधार-पे, एनईएफटी और आरटीजीएस को प्रोत्साहित किया जायेगा। इसके साथ ही 50 करोड़ रुपये के वार्षिक कारोबार वाले कारोबारियों तथा ग्राहकों को अब इनके माध्यम से भुगतान करने पर कोई शुल्क या मर्चेंट डिस्काउंट दर (एमडीआर) नहीं देना पड़ेगा।