लखनऊ। समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बजट को निराशाजनक, दिशाहीन और उद्देश्यहीन करार देते हुये कहा कि गरीबों, किसानों, नौजवानों, नौकरी पेशा लोगों और महिलाओं के लिए उसमें कुछ भी नहीं है। मध्यमवर्ग इस बजट से बुरी तरह चोटिल होगा क्योंकि इसमें एक हाथ से देकर दूसरे हाथ से छीन लेने की प्रक्रिया अपनाई गई है। वस्तुत: यह भ्रमित करने वाला बजट है जिससे जनता को गुमराह करने की साजिश की गई है। यादव ने शुक्रवार को जारी बयान में कहा कि केन्द्रीय बजट से पेट्रोल-डीजल के दामों में अतिरिक्त सेस लगने से 2.50 रूपए प्रतिलीटर की वृद्धि से परिवहन मंहगा होगा तो जीवनोपयोगी चीजों के दाम भी बढ़ेंगे। घरेलू बजट असंतुलित होगा। किसान डीजल का सबसे ज्यादा उपयोग करता है, उसको आर्थिक नुकसान होगा।
उन्होने कहा कि केन्द्रीय बजट ने जन अपेक्षाओं की अनेदखी की है। गरीबों को गरीबी से उबारने की इसमें कोई कोशिश नहीं है। किसानों की कर्जमाफी, उनकी आय में बढ़ोत्तरी के उपायों के अलावा खाद, बीज, कीटनाशक की उपलब्धता पर भाजपा सरकार ने चुप्पी साध रखी है। किसानों की आत्महत्या रूक नहीं पा रही है। नौजवानों को रोजगार देने के नाम पर स्टार्टअप, मुद्रालोन जैसी पुरानी घिसीपिटी योजनाओं की ही चर्चा है। कोई ठोस योजना नहीं है। 2022 तक इन वादों को पूरा करने का पिछले कई वर्षों में दिया जा रहा है। नारी सशक्तीकरण की दिशा में भी कोई ठोस प्रयास नहीं है। उनकी सुरक्षा, वेतनविसंगतियों और कार्यस्थल में जेंडर असमानता रोकने का कोई जिक्र नहीं है। भाजपा की सरकार ने जनता के इस्तेमाल की कई चीजों को भी मंहगा कर दिया है। टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है। विदेशी किताबे मंहगी कर उसने शोध और शिक्षा क्षेत्र के विकास में बाधा डाली है। रेलवे, एयरपोर्ट में निजी भागीदारी और मीडिया में विदेशी पूंजी निवेश को बढ़ावा देकर भाजपा सरकार बड़े पूंजीघरानों और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के हाथों में राष्ट्रीय सम्पदा सौंपने काम करेगी।