नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आपातकाल के लिए कांग्रेस को एक बार फिर घेरते हुये मंगलवार को कहा कि 25 जून की उस काली रात देश की आत्मा को कुचल दिया गया था और यह दाग कभी मिटने वाला नहीं है। मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लोकसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुये आज कहा,‘‘25 जून की वो काली रात। देश की आत्मा को कुचल दिया गया था। मीडिया को दबोच दिया गया, महापुरुषों को सलाखों के पीछे डाल दिया गया, देश को जेलखाना बना दिया गया सिर्फ इसलिए कि किसी की सत्ता न चली जाये।’’ उनका इशारा पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की तरफ था जिनके शासनकाल में 25 जून 1975 को देश में आपातकाल लगाया गया था।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि न्यायपालिका का अनादर किया गया था।
संविधान को कुचल दिया गया था। यह दाग कभी मिटने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि उस घटना को बार-बार याद कराया जाना जरूरी है ताकि फिर कोई इस तरह का काम करने की हिम्मत न कर सके। इससे पहले मोदी ने आपातकाल का जिक्र कुछ व्यंग्यात्मक अंदाज में शुरू किया। उन्होंने कहा,‘‘कल तो बड़े नारे बुलवा लिये - ये कांग्रेस ने किया, वो कांग्रेस ने किया। आज 25 जून है साहब...।’’ इतना कहकर वह थोड़ी देर खामोश हो गये और सत्ता पक्ष के सदस्य ‘कांग्रेस ने किया’ के नारे लगाने लगे। प्रधानमंत्री ने कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के इस आरोप पर घोर आपत्ति की कि भारतीय जनता पार्टी इतिहास को बदलकर यह दिखाना चाहती है कि 2014 से पहले देश में कोई विकास कार्य नहीं हुआ। मोदी ने कहा,‘‘बार-बार हमें सुनाया जाता है। तो यहीं तक और आगे नहीं।’’
उन्होंने कहा कि लाल किले से राष्ट्र के नाम संबोधन में उन्होंने दो बार कहा कि देश को आगे ले जाने में अब तक की सभी केंद्र सरकारों तथा राज्य सरकारों का योगदान है। उल्टे उन्होंने आरोप लगाया कि 2004 से 2014 तक शासन में बैठे लोगों ने किसी भी अधिकृत कार्यक्रम में एक बार भी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का नाम नहीं लिया। यहाँ तक की अपनी ही पार्टी के पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव की सरकार की कभी तारीफ नहीं की।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता ने सदन में अपने भाषण में सोमवार को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का भी नाम लिया। मोदी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस में सिर्फ नेहरू-गाँधी परिवार को ही सराहा जाता है और उन्हीं का सम्मान किया जाता है। उन्होंने कहा कि राव या डॉ. सिंह को इसलिए भारत रत्न नहीं दिया गया क्योंकि वे ‘परिवार’ से नहीं थे। उन्होंने कहा,‘‘वहाँ परिवार से बाहर किसी को कुछ नहीं मिलता।’’ वहीं दूसरी तरफ उनकी सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को भारत रत्न दिया, यह जानते हुये भी कि उन्होंने अपना पूरा जीवन एक पार्टी को समर्पित कर दिया क्योंकि उनकी सरकार में परिवार नहीं काम के आधार पर सम्मान दिया जाता है।