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रक्त कैंसर के मरीजों की आयु में हुआ इजाफा

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 23 2019 7:31PM | Updated Date: Jun 23 2019 7:31PM
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प्रयागराज। चिकित्सकों का दावा है कि चिकित्सा विज्ञान में नये अविष्कारों की बदौलत रक्त कैंसर के प्रकार क्रानिक माइलाइड लिकेमिया (सीएमएल) नामक बीमारी से लड़ने की क्षमता में बढोत्तरी हुयी है। इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन के तत्वावधान में रविवार को आयोजित एक कार्यशाला में मिलेट्री हास्पिटल के क्लिीनिकल हिमैटालजी विभाग के परामर्शदाता कमाण्डेंट डॉ सत्य रंजन दास और कमला नेहरू अस्पताल में वरिष्ठ कैंसर रोग विशेषज्ञ डा राधारानी घोष ने रक्त विकार, उनकी पहचान और समाधान विषय पर अपने विचार व्यक्त किये। डा दास ने बताया कि समय पर यदि रक्त सम्बन्धी रोगो की पहचान हो जाये तो उसका इलाज सफल रहता है।
 
इलाज में बाधाए तब उत्पन्न होती है जब रक्त में संक्रमण हो जाता है। यदि रोगी ऐसी दवाओ का सेवन करता है जिसमें धातु की मात्रा अधिक होती है तो वह कैंसर का कारण बन सकता है। मौजूदा दौर में वक्त पर यदि कैंसर की पहचान हो जाती है तो कीमोथेरेपी, बोनमैरो ट्रान्सप्लान्ट द्वारा इसका निदान 60 प्रतिशत से 90 प्रतिशत तक किया जा सकता है। डा राधारानी घोष ने बताया कि सीएमएल (क्रानिक माइलाइड लिकेमिया) प्रति लाख व्यक्ति में एक से दो लोगो में होता है,
 
यह बीमारी वृद्ध लोगो में अधिक होती है तथा इसका मुख्य कारण फिलाडेलफिया क्रोमोसेम है, अभी तक इस बीमारी से ग्रसित लोगो का जीवन 5-6 साल हुआ करता था जो कि आधुनिक पद्धति द्वारा उपचार करने के बाद 15-20 साल हो गया है। उन्होने बताया कि शुरू में मंहगे होने के कारण गरीबो का इलाज संभव नही था लेकिन अब इसकी कीमत में गिरावट आने के बाद यही हर वर्ग में मुख्य उपचार है। सीएमएल एक प्रकार का रक्त कैंसर है जिसका वर्तमान समय में सकारात्मक उपचार मौजूद है।
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