नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ‘मुजफ्फरपुर बालिका गृह’ मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो की ओर से दायर आरोप पत्र में गम्भीर खामियों को लेकर दायर याचिका की सुनवाई दो सप्ताह बाद करेगा। निवेदिता झा ने अपनी हस्तक्षेप याचिका में आरोप लगाया है कि सीबीआई ने इस मामले में दाखिल आरोप पत्र में हत्या और बलात्कार जैसी कठोर धाराओं की बजाय हल्की धाराओं को शामिल किया गया है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील शोएब आलम ने न्यायमूर्ति एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामले का विशेष उल्लेख किया तथा त्वरित सुनवाई की मांग की, जिसके बाद न्यायालय ने दो सप्ताह बाद सुनवाई की हामी भर दी।
याचिकाकर्ता के मुताबिक साकेत अदालत में दाखिल सीबीआई के आरोप पत्र में गंभीर खामियां हैं। बालिका गृह की कई लड़कियों ने एक की हत्या और कइयों से बलात्कार संबंधी बयान दिये थे, लेकिन ये धाराएं आरोप पत्र में शामिल नहीं की गयी हैं। याचिकाकर्ता का कहना है कि बालिका गृह की कई लड़कियों ने शिकायत की थी कि कुछ लोग बाहर से भी आते थे और उन्हें प्रताड़ति करते थे। इसी तरह लड़कियों को भी बालिका गृह से बाहर ले जाने की बात कही गयी थी, लेकिन सीबीआई ने जांच में इन बाहरी लोगों के बारे में कोई जानकारी नहीं जुटाई है।
याचिकाकर्ता ने इस मामले में शीर्ष अदालत से दखल देने की मांग की है। दरअसल शीर्ष अदालत के आदेश पर दिल्ली के साकेत कोर्ट में इस मामले की सुनवाई शुरू हो चुकी है और अदालत को 30 मार्च को आरोप तय करने हैं। सीबीआई इस संबंध में मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर समेत 21 आरोपियों के खिलाफ अपना आरोप पत्र दाखिल कर चुकी है। न्यायालय ने गत सात फरवरी को बिहार सरकार को फटकार लगाते हुए दिल्ली की साकेत अदालत में इस मामले को स्थानांतरित कर दिया था।