नई दिल्ली। आज एक बार फिर से राफेल के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अपना पक्ष रखते हुए केंद्र सरकार के प्रतिनिधि ने कहा कि रक्षा मंत्रालय से राफेल डील के गोपनीय दस्तावेज चोरी कर लिए गए हैं। सरकार का पक्ष रखते हुए अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि अधिवक्ता प्रशांत भूषण जिन दस्तावेजों पर भरोसा कर रहे हैं, वे रक्षा मंत्रालय से चुराए गए हैं। उन्होंने कहा कि राफेल सौदे से जुड़े दस्तावेजों की चोरी होने के मामले की जांच चल रही है।
अटॉर्नी जनरल ने कहा कि याचिकाकर्ता ने राफेल सौदे पर जिन दस्तावेजों पर भरोसा किया है वे गोपनीय हैं और आधिकारिक गोपनीयता कानून का उल्लंघन हैं। प्रधान न्यायाधीश ने अटॉर्नी जनरल से भोजनावकाश के बाद यह बताने को कहा कि राफेल सौदे से जुड़े दस्तावेजों के चोरी होने पर क्या कार्रवाई की गई?
अटॉर्नी जनरल ने राफेल पर पुर्निवचार याचिका और गलत बयानी संबधी आवेदन खारिज करने का अनुरोध करते हुये कहा कि ये चोरी किए गए दस्तावेजों पर आधारित है। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि राफेल पर ‘द हिंदू’ की आज की रिपोर्ट उच्चतम न्यायालय में सुनवाई को प्रभावित करने के समान है जो अपने आप में अदालत की अवमानना है।
इससे पहले, उच्चतम न्यायालय ने राफेल सौदा मामले में पुर्निवचार याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कहा कि वह ऐसे किसी भी पूरक हलफनामों अथवा अन्य दस्तावेजों पर गौर नहीं करेगा जो उसके समक्ष दखिल नहीं किए गए हैं। सुनवाई को दौरान प्रशांत भूषण ने कहा कि जब प्राथमिकी दायर करने और जांच के लिए याचिका दाखिल की गईं तब राफेल पर महत्वपूर्ण तथ्यों को दबाया गया।
इस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि आपको सुनने का यह अर्थ नहीं है कि उच्चतम न्यायालय राफेल सौदे के दस्तावेजों को रिकॉर्ड में ले रहा है।बता दें कि पिछले साल 13 दिसंबर को इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए सरकार को क्लीन चिट दे दी थी, जिसमें कहा गया था कि ये सौदा बिल्कुल सही था और देश की जरुरत के हिसाब से भी था। लिहाजा कोर्ट ने इसे बिलकुल साथ सुथरा करार देते हुए मामले को खत्म कर दिया। हालांकि विपक्ष ने कोर्ट के फैसले पर भी सवाल उठाए थे।