डायरेक्टर: अर्जुन मुखर्जी
स्टार कास्ट: रेणुका शहाणे, पुलकित सम्राट, शरमन जोशी, मसुमेह मखीजा, ऋचा चड्ढा, आयशा अहमद, अंकित राठी, दधि पांडे
कहानी:
जैसा कि फिल्म के नाम से साफ है, ये एक चॉल की तीन मंजिलों में रहने वाले बहुत से लोगों की कहानी है। एक कहानी है फ्लोरी आंटी की जिसका बेटा चोरी करते हुए पकड़ा गया था और कई सालों पहले पुलिस कस्टडी में ही मारा गया था। इस कहानी के तार जुड़ते हैं पुलकित सम्राट के किरदार से।
दूसरी कहानी है वर्षा की, जिसका पति शराब के नशे में उसे मारता है और उसके पैसे छीनकर अय्याशियां करता है. इसी कहानी से जुड़ी है शरमन जोशी और उनकी पत्नी की कहानी। तीसरी कहानी है अलग धर्मों के दो नौजवानों की जो एक दूसरे से प्यार करते हैं और शादी करने के लिए घर छोड़कर भाग जाते हैं। लेकिन फिर एक बड़ा राज खुलता है, जिसके बाद उन्हें अलग होना ही पड़ता है।
इसी बीच बहुत से किरदार हैं जो इस कहानी को शेप देते हैं। ऋचा चड्ढा एक विधवा हैं जो सज-संवरकर रहती है और चॉल के सभी आदमी उसे देखकर लार टपकाते हैं। उनके दीवाने हैं हिमांशु जो चाहकर भी अपने दिल की बात नहीं कह पाते। लेकिन फिल्म का आखिरी नरेशन और हैप्पी एंडिंग की चाह इस फिल्म का सबसे ढीला हिस्सा है।
पूरी कहानी आपस में बंधी हुई है लेकिन इसमें आए ट्विस्ट ऐसे नहीं है जो आपको कुर्सी से हिला दें। सब कुछ बहुत प्रेडिक्टेबल है और जो नया है वो थोड़ा बचकाना सा लगता है। फिल्म के डायलॉग थोड़े हल्के हैं और कई बार स्कूल में होने वाले नाटकों की याद दिलाते हैं।