26 Apr 2024, 15:54:12 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

 

कोई भी व्यक्ति अपने सबसे प्रिय परिजन को बचाने के लिए अपने अतीत को छिपाए रखने की किस हद तक कोशिश कर सकता है, उस हद को आप ‘दृश्यम’ में अजय देवगन के किरदार में देख सकते हैं। यह 2015 में रिलीज हुई अजय देवगन की पहली फिल्म है। निर्देशक निशिकांत कामत की यह फिल्म इसी नाम से मलयालम में वर्ष 2013 में आई एक फिल्म की चौथी रीमेक है। हालांकि जिन लोगों ने इस फिल्म को पहले किसी संस्करण में देख लिया है उनके लिए इसकी कहानी खुली किताब की तरह है लेकिन जिन्होंने नहीं देखी उनके लिए इसे देखने के कई बहाने हैं।
 
कहानी के नायक ‘विजय सालगांवकर’ (अजय) ने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी थी और अब वह गोवा में अपना केबल टीवी का बिजनेस चलाता है लेकिन एक घटना जिसमें उसकी पत्नी ‘नंदिनी’ (श्रिया सरन) और बड़ी बेटी (नवोदित अभिनेत्री इशिता दत्ता) शामिल होती है, उनकी जिंदगी को बदलकर रख देती है। अब विजय का मकसद अपने चार सदस्यों के इस परिवार को हर हाल में बचाए रखना है। उसके परिवार में उसकी छोटी बेटी (मृणाल जाधव) भी शामिल है।
 
यह तभी संभव है जब वह झूठों का ऐसा जाल बुने जिससे कि गोवा की सख्त पुलिस महानिरीक्षक ‘मीरा देशमुख’ (तब्बू) उसके परिवार को छू भी न सके, मीरा इस मामले में ज्यादा दिलचस्पी दिखाती हैं तो विजय के लिए यह और भी जरूरी हो जाता है। हालांकि कहीं-कहीं ‘दृश्यम’ काफी बोझिल हो जाती है खासकर के तब जब आप यह अनुमान लगा लेते हैं कि आगे कहानी कैसे जाएगी। लेकिन फिर भी फिल्म में ऐसी बहुत सारी चीजें हैं जो इसे एक देखने लायक बेहतरीन फिल्म बनाती है।
 
फिल्म में दिखाए गए गोवा के लोेकेशन और सेट बहुत अच्छे हैं और अविनाश अरूण का सधा हुआ कैमरा फिल्म में प्रभाव छोड़ता है। ‘दृश्यम’ एक सस्पेंस फिल्म है लेकिन इसमें कई ऐसी बाते हैं जो इसे अनोखा बनाती हैं। फिल्म का नायक विजय हर हाल में अपने रहस्य को दबाए रखना चाहता है और उसकी इसी जद्दोजहद में पूरी फिल्म की कहानी आगे बढ़ती है।
 
अभिनय के लिहाज से अजय देवगन ने फिल्म में अपनी अभिनय क्षमता का लोहा मनवाया है। साथ में अन्य किरदार भी प्रभाव छोड़ते हैं। तब्बू फिल्म में अभिनय के निखार को बढ़ाती हैं। ‘दृश्यम’ वाकई देखी जाने वाली फिल्म है यदि आप अच्छे अभिनय को पसंद करते हैं। पहले भाग में फिल्म की गति तेज है। बहरहाल दूसरे भाग में यह थोड़ा लड़खड़ा जाती है। लेकिन अंत तक दर्शकों को बांधे रखती है।
 
 
 
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