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पार्षद जामसंडेकर हत्या मामले में गवली के उम्रकैद की पुष्टि

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Dec 10 2019 12:37AM | Updated Date: Dec 10 2019 12:37AM
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मुंबई। महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून (मकोका) की विशेष अदालत ने वर्ष 2012 में शिव सेना के पार्षद की हत्या मामले में कुख्यात गिरोहबाज अरुण गवली को उम्रकैद की सजा सुनायी थी जिसकी बम्बई उच्च न्यायालय ने सोमवार को पुष्टि कर दी। खंडपीठ के न्यायाधीश बी पी धर्माधिकारी और न्यायाधीश स्वप्ना जोशी ने अरुण गवली और अन्य की सजा की पुष्टि की। शिव सेना के पार्षद कमलाकर जामसंडेकर की मार्च 2008 में गवली गिरोह के सदस्यों ने हत्या कर दी  थी। गवली ने जामसंडेकर की हत्या की ‘सुपारी’ ली थी और विशेष अदालत ने वर्ष 2012 में गवली को उम्रकैद की सजा सुनायी थी जिस पर आज उच्च न्यायालय ने पुष्टि कर दी। हत्या के बाद अरुण गवली को गिरफ्तार किया गया था और तब से वह जेल में है। गवली को नागपुर की सेंट्रल जेल में रखा गया है।
 
मकोका अदालत ने गवली को उम्रकैद के साथ ही 17 लाख रुपये का दंड भी लगाया था और दंड की रकम नहीं भरने पर तीन वर्ष और सजा काटने का आदेश सुनाया था। इस मामले में अदालत ने  सुनील घाटे के अलावा नौ अन्य लोगों को भी उम्रकैद की सजा सुनायी  थी। अदालत ने घाटे को शस्त्र अधिनियम के तहत तीन वर्ष की सजा सुनायी थी। सरकारी वकील ने अदालत को बताया कि गवली और10 अन्य लोगों ने श्री जामसंडेकर की हत्या करने के लिए 30 लाख रूपये का ठेका लिया था। श्री जामसंडेकर वर्ष 2007 में बृहन्मुंबई महानगर पालिका का चुनाव जीता था। श्री जामसंडेकर की हत्या के मामले में गवली और अन्य आरोपियों पर हत्या का षडयंत्र रचने का आरोप लगाया गया था। रिपोर्ट के अनुसार जामसंडेकर अपने व्यवसाय विरोधी साहबराव बिताड़े और बाला सुर्वे को सहयोग नहीं कर रहे थे।
 
इक्कीस मई 2008 को गवली को गिरफ्तार किया गया और अक्टूबर 2010 को गवली के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया। गवली और अन्य पर आपराधिक षडयंत्र रचने का आरोप पत्र में आरोप लगाया गया था। सरकारी वकील ने इस मामले में अपराधियों को मृत्यु दंड देने की मांग की थी लेकिन गवली के वकील ने अदालत को बताया था कि गवली को राजनीतिक कारणों से निशाना बनाया गया। गवली वर्ष 2004 में विधायक बना लेकिन मई 2008 में हत्या के मामले में उसे गिरफ्तार किया गया और तब से ही वह जेल में है। गवली के वकील एस पाटिल ने बाद में कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील करेंगे।
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