इंदौर। प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल एमवाय में 24 घंटे में 17 मौत होने की बात सामने आई है। इसमें से सात मौतें सिर्फ एक घंटे में होना बताया गया है। चर्चा रही कि गुरुवार सुबह चार से साढे चार बजे के बीच अस्पताल की आॅक्सीजन सप्लाई फेल हो गई। इस फैल्युअर के कारण आईसीयू के सात मरीजों की मौत की बात कही गई थी। कुछ घंटों में ही इसका खुलासा हो गया कि ये मौतें ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई। इस तरह की खबर फैलाने के पीछे एक वरिष्ठ डॉक्टर की एमवाय अधीक्षक से रंजिश की बात सामने आई है। इस डॉक्टर ने एक मीडियाकर्मी के साथ मिलकर साजिशन आॅक्सीजन लीक की खबर फैलाई। मामला सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद संभागायुक्त संजय दुबे तत्काल एमवायएच पहुंचे और जानकारी ली। संभागायुक्त ने ऑक्सीजन की कमी की बात को पूरी तरह नकारते हुए कहा कि जो भी मौतें हुई हैं, वे सामान्य हैं। उन्होंने भी एक वरिष्ठ डॉक्टर पर संदेह जताया और कहा कि झूठी खबर फैलाने वाले अखबार के खिलाफ प्रशासन कानूनी कार्रवाई करेगा।
शाम होते-होेते स्थिति पूरी तरह साफ हो गई और संभागायुक्त ने जो संदेह जताया था, वह भी खुलकर सामने आ गया। देर रात वायरल हुए एक आॅडियो ने पूरे मामले का सच सामने ला दिया। ऑडियो में डॉ. रामगुलाम राजदान (अधीक्षक, मानसिक चिकित्सालय, बाणगंगा) एक मीडियाकर्मी को फोन कर ऑक्सीजन सप्लाई बंद होने की जानकारी दे रहे हैं। दरअसल डॉ. राजदान और अस्पताल अधीक्षक डॉ. वीएस पाल के बीच सालों से आपसी रंजिश व ईर्ष्या है। इसके चलते डॉ. राजदान ने ऑक्सीजन सप्लाई प्रभावित होने की झूठी सूचना फैलाई। डॉ. राजदान ने मीडिया के एक वर्ग को इसके लिए प्रभाव में लेकर प्रकाशन भी करवाया।
हैलो, मैं डॉ. राजदान खबर मिल गई
कॉल खुद डॉ. राजदान ने लगाया जिसमें उन्होंने कहा कि डॉ. राजदान बोल रहा हूं। नमस्ते..... वो एमवाय अस्पताल की खबर मिल गई होगी। इस पर मीडियाकर्मी ने पूछा- कौन सी खबर? तीसरी मंजिल पर बच्चों की मौत वाली खबर। फिर मीडियाकर्मी ने कहा कि हां में उसी में लगा हूं। डॉ. राजदान ने कहा गैस खत्म हो गई थी। फिर मीडियाकर्मी ने कहा कि ठीक है मैं देख लेता हूं। बताया जाता है कि चंद मिनट की इस बातचीत के बाद मीडियाकर्मी ने बिना तथ्यों की पड़ताल किए सनसनीखेज खबर बना दी।
रंजिश पुरानी, खबरें बांटने का शौक भी पुराना
डॉ. राजदान और डॉ.वीएस पाल में काफी सालों से मतभेद चल रहे हैं। वे एक-दूसरे के खिलाफ बोलने में नहीं चूकते। कुछ समय पहले डॉ. राजदान का तबादला मानसिक चिकित्सालय (बाणगंगा) कर दिया था। वे वहां अधीक्षक है। यह भी जानकारी मिली है कि वे अभी भी आए दिन कुछेक मीडियाकर्मियों को एमवाय अस्पताल के खिलाफ खबरें देते रहते हैं, क्योंकि वहां डॉ. पाल पदस्थ है और उनकी छवि धूमिल हो। मामले में दबंग दुनिया ने डॉ. राजदान से बात की तो उनका कहना था कि उनकी ऐसी कोई चर्चा किसी मीडियाकर्मी से हुई ही नहीं है। मोबाइल में उक्त आवाज उनकी नहीं है।
झूठ फैलाने वाले अखबार पर करेंगे कानूनी कार्रवाई
- एमवाय में जो कुछ हुआ उसके बारे में आपका क्या कहना है?
- हम यह पता लगा रहे हैं कि यह गलत खबर फैली कैसे? हमें यह जानकारी मिली है कि हमारे ही किसी वरिष्ठ डॉक्टर साथी ने यह सूचना दी है जो कि उस अस्पताल में काम ही नहीं करता है। पता कर रहे हैं कि एक सांध्य दैनिक ने इतनी बड़ी बात बगैर पुख्ता तथ्य के कैसे प्रकाशित कर दी?
- झूठी खबर प्रकाशित करने वाले पर कार्रवाई करेंगे?
- बिल्कुल करेंगे, इसमें कोई बात ही नहीं है। कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
- सामान्य कैसे माने ये मौतें?
- जो भी मौतें हुई वह सामान्य मौतें है। अलग-अलग वार्डों और अलग-अलग समय पर हुई है। तीन केस तो एमएलसी के है।
- तो यह माना जाए की जो भी खबर छापी गई है वह पूरी तरह गलत है?
-बिल्कुल-बिल्कुल क्योंकि सामान्यत: एमवायएच में एक दिन में 15 से लेकर 25 मौतें होती है। आॅक्सीजन सप्लाई बंद होती तो बहुत मरीज प्रभावित होते क्योंकि अस्पताल में आॅक्सीजन सप्लाई का सेंट्रलाइज्ड सिस्टम है। ऐसे बहुत सारे मरीज हैं जिनको उस समय भी आॅक्सीजन की सप्लाई चल रही थी और अभी भी चल रही है। तो ऐसा नहीं हो सकता कि कुछ लोग प्रभावित हो और कुछ नहीं।
ये सवाल अब भी रह गए बाकी
- अगर सामान्य मौतें हैं तो एनआईसीयू और आईसीयू से शिकायत पंजी क्यों हटाई गई?
- घटना के बाद मृतकों और उनके पते सार्वजनिक करने में देरी क्यों की गई?
- ऑक्सीजन की सप्लाई सामान्य होने की बात कही जा रही है, लेकिन गैस के उतार-चढ़ाव की बात कैसे सामने आई?
- मौत के बाद किसी भी मरीज के परिजन ने विरोध नहीं जताया?