भोपाल। मध्यप्रदेश में किसानों को सरकार की योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ दिलवाने के उन्हें सहकारी बैंकों और साख समितियों का सदस्य बनाया जाएगा। इस हेतु सहकारिता विभाग द्वारा प्रदेश में 26 जनवरी से एक माह का ‘घर वापसी’ अभियान चलाया जाएगा। आधिकारिक तौर पर यहां बताया गया कि प्रदेश के सहकारिता राज्य मंत्री विश्वास सारंग ने यह निर्णय प्रदेश में सहकारी आंदोलन को नई दिशा देने और मजबूत बनाने के लिए सितम्बर माह में हुई सहकारी मंथन की सिफारिशों के क्रियान्वयन की समीक्षा बैठक के दौरान लिया।
सारंग ने बैठक में बताया कि सहकारी साख समितियों और बैंकों का सदस्य न होने के कारण किसानों को सरकार की कई योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता। शून्य प्रतिशत ब्याज पर रिण और मूल रिण में 10 प्रतिशत के अनुदान का फायदा उसे नहीं मिलता है। इसलिये मंथन की सिफारिशों के आधार पर सदस्यता अभियान चलाया जा रहा है।
इसी कड़ी में 26 जनवरी से 26 फरवरी तक ‘घर वापसी’ अभियान में किसानों से सम्पर्क कर उन्हें वाणिज्य बैंकों के स्थान पर सहकारी बैंकों से जोड़ा जाएगा। उन्होंने बताया कि सहकारी मंथन में 132 सिफरिशों में से 74 पर क्रियान्वयन शुरू हो चुका है। शेष पर कानूनी और एक्ट में परिवर्तन संबंधी कार्यवाही चल रही है।
उन्होंने बताया कि मंथन की सिफारिशों के आधार पर की गयी कार्यवाही से कई सकारात्मक और बेहतर परिणाम सहकारी क्षेत्र को मिले हैं। उन्होंने बताया कि सितम्बर से दिसम्बर, 2016 तक सहकारी बैंकों की जमा राशि में वृद्धि हुई है। धान और मक्का उपार्जन के बाद 400 करोड़ रुपए की वसूली हुई है, जो पूर्व में मात्र 100 करोड़ होती थी।