05 May 2024, 15:57:47 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android
State

संघर्षविराम हो या न हो, नियंत्रण रेखा पर जवान मुस्तैदी से तैनात रहते हैं: सेना

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Sep 5 2022 3:52PM | Updated Date: Sep 5 2022 3:52PM
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

केरन । पाकिस्तान की ओर से घुसपैठ की घटनाओं को विफल करने के लिए नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर भारतीय सेना के जवान अग्रिम चौकियों पर 24 घंटे पैनी नजर रखते हैं, जिसके कारण आए दिन सीमा पार से घुसपैठ की कोशिशों को विफल कर दिया जाता है। सेना एक अधिकारी ने कहा कि 12,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित चौकियों पर तैनात देश के सैनिक छोटे लेकिन अत्याधुनिक हथियारों से लैस हैं और 24 घंटे सातों दिन घुसपैठियों पर कड़ी नजर रखे हुए हैं। सेना के अधिकारियों का मानना है कि सर्दी आने पर दूसरी तरफ (सीमा पार) गतिविधियां बढ़ जाती हैं क्योंकि हिमपात और कड़ाके की ठंड के दौरान आंतकवादी भारतीय सीमा में प्रवेश करने की कोशिश करते हैं।
 
कुपवाड़ा में सेना के एक अधिकारी ने यूनीवार्ता से कहा, “ जैसे-जैसे सर्दी बढ़ती है, वैसे-वैसे सीमा पार से घुसपैठ की कोशिशें ज्यादा होने लगती हैं। हम नियंत्रण रेखा पर कड़ी निगरानी रखे हुए हैं क्योंकि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को प्रभावित करने के संबंध में पाकिस्तान की मंशा या कार्रवाई में कोई बदलाव नहीं आया है। ” उन्होंने कहा कि केरन और उससे सटा माछिल सेक्टर गत वर्षों तक आतंकवादियों की घुसपैठ के पारंपरिक रास्ते थे। यहां से घुसपैठ के सभी रास्ते शामसाबरी रेंज में और फिर उत्तरी कश्मीर के बारामूला, सोपोर और बांदीपोरा में मिलते हैं। सेना अधिकारी ने कहा, “ हमारी सेना घुसपैठ को नाकाम करने में पूरी तरह से सक्षम है, हम यह अच्छी तरह से जानते हुए कि जम्मू-कश्मीर में 743 किलोमीटर लंबी नियंत्रण रेखा की प्रकृति को देखते हुए शून्य घुसपैठ सुनिश्चित करना असंभव है। जहां ऊँची चोटियों, ऊबड़-खाबड़ पहाड़ी रास्तों, घने जंगलों से होकर रास्ते गुजरते हैं। ”
 
एलओसी पर तैनात सैनिकों के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम पर सहमति बनने के बावजूद कोई आराम नहीं है। केरन में अग्रिम चौकी पर तैनात सेना के एक जवान ने कहा, “ हमें चौबीसों घंटे निगरानी रखनी होती है और सुनिश्चित करना होता कि कोई भी एलओसी पार न कर सके। भले ही संघर्षविराम हो गया है, लेकिन हम अपने सुरक्षाकर्मियों को चौबीसों घंटे चौकस रखते है क्योंकि आतंकवादियों ने कश्मीर में घुसने की कोशिश करना कभी भी बंद नहीं किया है।” सेना अधिकारी ने कहा कि हम घाटी में शांति सुनिश्चित करने के लिए कश्मीर में 350 किलोमीटर से अधिक एलओसी पर कड़ी निगरानी रखे हुए हैं। अत्याधुनिक तकनीकी के साथ, एलओसी की तार की बाड़-जिसे आतंकवादी रोधी बाधा प्रणाली (एआईओएस) के रूप में भी जाना जाता है। इसके अलावा रात्रि दृष्टि उपकरणों, एकीकृत निगरानी प्रणाली के साथ सेना तैनात रहती है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा के पार से घुसपैठ की घटनाओं में वास्तव में कमी आयी है।
 
अधिकारियों के अनुसार वर्ष 2017 में 419 बार सीमा पार से घुसपैठ के प्रयास किए गए थे। इसके बाद वर्ष 2018, 2019, 2020 और 2021 में क्रमशः 328, 216, 99 और 77 थी। उन्होंने कहा कि इस साल घुसपैठ की कोशिशों की संख्या ज्यादा नहीं है। रक्षा अधिकारियों ने कहा कि इस साल कश्मीर संभाग में घुसपैठ की छह कोशिशों को नाकाम कर दिया गया है। जम्मू-कश्मीर के पुलिस प्रमुख दिलबाग सिंह ने हाल ही में कहा था कि इस साल आतंकवादियों की घुसपैठ लगभग शून्य हो गई है।
 
सिंह ने गत शुक्रवार को कहा,“ इस साल घुसपैठ लगभग शून्य है। सीमा पार से घुसपैठ की कुछ कोशिशें की गयीं, लेकिन ज्यादातर नाकाम कर दी गईं। ” खुफिया सूचनाओं के मुताबिक कश्मीर में नियंत्रण रेखा के पार लगभग 250 आतंकवादी घुसपैठ के लिए विभिन्न लॉन्च पैड पर इंतजार कर रहे हैं।
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »