नई दिल्ली। भारत का पहला मैच अमेरिका से दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में खेला गया। यह पहली बार है जब टीम इंडिया फीफा अंडर-17 विश्व कप में खेल रही है। मैच की शुरुआती मुकाबला टक्कर का था, लेकिन इसके बाद अमेरिका के कप्तान सार्जेंट ने पेनॉल्टी को गोल में बदलकर टीम को 0-1 से बढ़त दिलाई। पहले हाफ तक अमेरिका ने बढ़त को बरकरार रखा।
आक्रामक शुरुआत
अमेरिकी टीम ने मैच की शुरुआत से ही आक्रामक खेल दिखाया। शुरुआती 10 मिनट तक मैच पर अमेरिकी टीम ने कब्जा जमा लिया था, लेकिन इसके बाद टीम इंडिया ने मैच में वापसी की। हालांकि वह ज्यादा देर खुद मैच में नहीं रह पाई। अमेरिका के कप्तान सार्जेंट ने पेनल्टी कॉर्नर को गोल में बदलकर टीम को बढ़त दिलाई। पहले हाफ के बाद अमेरिका ने हमलों को जारी रखा, जिसे भारतीय खिलाड़ी रोकने में असफल रहे। हाफ के बाद अमेरिका ने 2 गोल दागे, जो कि उनकी जीत की वजह बने। इस मैच के 51वें और 84वें मिनट में अमेरिकी खिलाड़ियों ने गोल किए। बता दें कि इस मैच में भारत की तरफ से निनथोइंगानबा और अभिजीत के साथ जीतेंद्र को भी टीम इंडिया की प्लेइंग में जगह मिली थी। ये थी इंडिया प्लेइंग इलेवन : धीरज, जीतेंद्र, संजीव, अनवर, सुरेश, निनथोइंगानबा, अमरजीत, अभिजीत, कोमल, राहुल और अनिकेत।
मैच से पहले माता-पिता से मिलकर भावुक हुए अंडर-17 खिलाड़ी
भारतीय फुटबॉल अंडर-17 टीम के खिलाड़ियों ने फीफा अंडर-17 विश्व कप मैच से पहले होटल में अपने अभिभावकों से मुलाकात की। खिलाड़ियों के लिए देश के पहले फीफा टूर्नामेंट में भाग लेने से पहले माता-पिता से मिलना भावनात्मक पल था, क्योंकि इसमें कई ऐसे खिलाड़ी हैं जो बेहद ही गरीब परिवार से है। खिलाड़ियों का परिजनों से मुलाकात अखिल भारतीय फुटबॉल संघ (एआईएफएफ) के सहयोग से संभव हो पाया। टीम के कप्तान अमरजीत सिंह के बड़े भाई उमाकांत ने कहा, एआईएफएफ ने खिलाड़ियों को होटल में अभिभावकों से मिलने का मौका दिया। अमरजीत से मिलकर मेरे माता-पिता काफी खुश हैं और वे भावुक हो गए।
नेहरू स्टेडियम के बाहर न झंडे लगे न होर्डिंग
भारत में पहली बार आयोजित हो रहे अंडर-17 फीफा विश्वकप फुटबॉल टूर्नामेंट के लिए राजधानी दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम के बाहर सुरक्षा के तो जबरदस्त बंदोबस्त थे, लेकिन स्टेडियम के बाहर ऐसा लग नहीं रहा था कि यहां फीफा विश्वकप हो रहा है। स्टेडियम के बाहर की मुख्य सड़क पर न तो विश्वकप को लेकर देशों के झंडे लगे थे और न ही कोई होर्डिंग थे।
पहले मैच में खाली पड़ा था स्टेडियम
विश्वकप के पहले मुकाबले में कोलंबिया और घाना की टीमें शाम पांच बजे आमने सामने हुर्इं, लेकिन तब तक नेहरू स्टेडियम एक चौथाई भी नहीं भर पाया था। लगभग 66 हजार दर्शकों की क्षमता वाला यह स्टेडियम लगभग खाली ही था। मुकाबले की शुरुआत बड़ी सादगी के साथ हुई और दोनों टीमों के राष्ट्रगान के बाद मुकाबला शुरू हो गया।
नवी मुंबई में मीडिया के लिए पार्किंग छह किमी दूर
नवीं मुंबई में विश्वकप मैचों के लिए मीडिया पार्किंग की व्यवस्था छह किलोमीटर दूर रखी गई है, जिससे मीडियाकर्मियों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। नवी मुंबई में पार्किंग इतनी दूर है और जो शटल सर्विस रखी गई है। उसके लिए भी मीडियाकर्मियों को टिकट खरीदने पड़ रहे हैं। यहां मैच कवर कर रहे पत्रकारों को इस बात की हैरानी है कि शटल सर्विस के लिए 42 रुपए का टिकट रखा गया है।