- केपी सिंह
इंदौर। जल्द ही मानसून बिदा लेने वाला है। शहर में बारिश का ग्राफ 33 इंच तक ही पहुंचा है। कम बारिश ने चिंता बढ़ा दी है। वहीं, यशवंत सागर को छोड़ दें तो शहर के तालाब आधे खाली हैं। अब बूंद-बूंद सहेजने की जरूरत है। शहरवासियों की जागरूकता से ही पानी की बर्बादी पर अंकुश लगा सकेंगे। विशेषज्ञों की मानें तो औसत बरसात के चलते भूजल स्तर पर भी असर पड़ेगा। जून-जुलाई तक चलने वाले बोरिंग अप्रैल-मई में जवाब देना शुरू कर देंगे। निगम अफसरों ने मंथन शुरू कर दिया है कि किस तरह से आने वाले संकट से निपटा जाए।
ये तालाब खाली
शहर का सिर्फ यशवंत सागर तालाब लबालब हो पाया है क्योंकि इसका कैचमेंट एरिया महू व राऊ है। बाकी तालाबों में बड़ा बिलावली 14 फीट, छोटा बिलावली सात फीट खाली है। वहीं, बड़ा सिरपुर दो फीट, पीपल्यापाला पांच फीट, लिंबोदी 12 फीट खाली है।
भूमाफियाओं ने सुखाया तालाब
600 एकड़ में फैला बिलावली तालाब हर साल लबालब हो जाता था, इस साल आधा ही भरा है। कारण, बिलावली को रातों-रात खाली कर लाखों मछलियों को मार दिया था। इसके बाद से तालाब का ज्यादातर हिस्सा सूखा पड़ा है। इसका कैचमेंट एरिया और पाल की जमीन पहले 304.76 हेक्टेयर थी, जो अब 234.6 हेक्टेयर बची है। तालाब की जलग्रहण क्षमता 320 एमसीएफटी, फुल टैंक लेवल 34 फीट है। इसे सुखाने के लिए भूमाफिया भी षड्यंत्र कर रहे थे, जो अपने मकसद में कामयाब होते दिख रहे हैं। तालाब नहीं भरेगा तो कब्जा होना शुरू हो जा जाएगा और जल्द ही बिलावली अस्तित्व खो देगा। इस तरह तालाबों को षड्यंत्रपूवर्क खत्म किया जा रहा है, इनको जीवित करने पर किसी का ध्यान नहीं है।
जरूरत के हिसाब से लेंगे पानी
बारिश पर्याप्त नहीं हुई है। यशवंत सागर के अलावा अन्य तालाब खाली हैं। इसलिए निगम ने रणनीति तैयार की है। इसमें नर्मदा का अतिरिक्त 180 एमएमडी पानी लिया जा सकता है। इसमें से 90 एमएलडी पानी लेना शुरू भी कर दिया है। अब जरूरत के हिसाब से पानी लेंगे। -संतोष टैगोर अपर आयुक्त, नगर निगम