27 Apr 2024, 09:47:21 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android
news » Exclusive news

स्वाइन फ्लू ने बदला अपना रूप, हमारा इलाज वही पुराना

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Sep 27 2017 5:42PM | Updated Date: Sep 27 2017 5:45PM
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

- रफी मोहम्मद शेख 

इंदौर। भारतभर में फैला स्वाइन फ्लू का कहर इस बार फिर इंदौर में भी बहुत तेजी से फैला है। वास्तव में इस वायरस ने अपनी प्रकृति इस बार तेजी से बदली है, जिससे मौसम, तापमान आदि का असर नहीं रह गया है। वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) ने इस बार मिशिगन से लेकर ब्रिस्बेन तक के वायरस की घोषणा की है, जिनकी प्रकृति अलग-अलग है। डब्ल्यूएचओ ने एच1एन1 के स्थान पर एच7एन9 और इस बार एच3एन2 के लक्षण होने की पुष्टि की है। लेकिन हमारे यहां पर इनकी जांच की सुविधा ही नहीं है। समान लक्षण होने के कारण इस रोग के मरीजों का सही समय पर निदान नहीं हो पा रहा है। वहीं चिकनगुनिया और डेंगू के मरीजों के एक समान लक्षण डॉक्टर्स को भ्रमित कर रहे हैं।
 
इंदौर में अब तक 25 की मौत
भारत में स्वाइन फ्लू का कहर अब तक 900 से ज्यादा लोगों को मौत के मुंह में पहुंचा चुका है। इसमें इंदौर का आंकड़ा 25 है। अब एच1एन1 के प्रकृति बदलने की बात साफ तौर पर सामने आ रही है। डब्ल्यूएचओ और नेशनल सेंटर फॉर डिसिस कंट्रोल (एनसीडीसी) ने साफ तौर पर कहा है कि इस बार इसकी प्रकृति ए/मिशिगन/ 45/2015 है, जबकि पिछले साल तक यह ए/ कैलिफोर्निया/ 7/2009 थी।
 
जांच के बाद रिपोर्ट में हुआ खुलासा
इसके साथ ही हांगकांग और ब्रिस्बेन प्रकृति की बात भी सामने आ रही है। यह मरीजों की जांच के बाद सामने आई रिपोर्ट से साफ हुआ है। अलग-अलग प्रकृति के वायरस का इलाज तो टैमीफ्लू आदि के माध्यम से ही होता है लेकिन इसके डायग्नोसिस से लेकर पहचान बदल जाती है। इससे नुकसान मरीज को होता है कि जब तक उसे स्वाइन फ्लू डायग्नोसिस होता है, तब तक काफी देर हो चुकी होती है। दो साल पहले चीन में हुए परीक्षण में यह वायरस एच1एन1 नहीं बल्कि एविएशन इंफ्लूएंजा वायरस एच7एन9 निकला। इसके बाद भारत में फैले वायरस भी यही होने की बात सामने आई थी। इस बार यह वायरस एच3एन2 यानी पुराने वाले इंफ्लूएंजा की सामने आ रही है। यह भी स्वाइन फ्लू का ही एक प्रकार है।
 
घोषणा पर निर्भर चिकित्सा विभाग
वायरस की प्रकृति बदलने की बात विश्व का सबसे बड़ा हेल्थ आर्गेनाइजेशन कह रहा है लेकिन शहर का सरकारी चिकित्सा विभाग अभी भी इसे सालों पुराने वायरस को मानकर उसी आधार पर इलाज कर रहा है। वास्तव में चिकित्सा विभाग भारत सरकार के चिकित्सा विभाग की घोषणा पर निर्भर है। इंदौर शहर में मौत का आंकड़ा पिछले सालों में तेजी से बढ़ा है। 
 
स्थिति यह है कि देशभर में हुई मौतों में इंदौर शहर पुणे, मुंबई, सूरत जैसे शहरों के बाद अपना स्थान रखता है लेकिन विभाग इसकी जांच की लेबोरेटरी तक अपने यहां पर स्थापित नहीं कर पाया है। खास बात यह है कि हमारे प्रदेश में जबलपुर की लैब में केवल एच1एन1 वायरस की ही जांच होती है और अन्य वायरस की जांच की सुविधा ही नहीं है।
 
क्या है एच7एन9 और इंफ्लूएंजा के वायरस
एच7एन9 का वायरस दो प्रोटींस में बंटा हुआ है। एक हेमाग्लुटिनिन (एचए) और दूसरा न्यूरामिनिडेज (एनए)। एवियन इंफ्लूएंजा एएच7 वायरस सामान्य रूप से पक्षियों में फैलता है। यह इंफ्लूएंजा वायरस का एक ग्रुप है। मनुष्य में एच7 इंफ्लूएंजा इंफेक्शन होना असामान्य है लेकिन इस वायरस से संक्रमित पक्षियों के संपर्क में आने से यह तेजी से मनुष्य में भी फैलता है। एच7 ग्रुप के कुछ वायरस जैसे एच7एन2, एच7एन3 और एच7एन7 मनुष्यों में पाए गए हैं। एच1एन1, एच1एन2, एच3एन1, एच3एन2, और एच2एन3 इंफ्लूएंजा ए के टाइप हैं।  एच1एन1, एच3एन2 और एच1एन2 सबसे आम हैं।
 
क्या करें.. क्या न करें
- नाक और मुंह ढंककर रखें। उपयोग के बाद टिश्यू (ढंके हुए कवर) को नष्ट कर दें।
- खांसी या छींक के बाद अपने हाथों को साबुन से धोना चाहिए। खासकर खांसी या छींक के बाद। अल्कोहल वाला हैंड क्लीनर का उपयोग करें। 
- एक निश्चित अंतराल के बाद हाथों को धोते रहना चाहिए।
- दरवाजे के हैंडल, टॉवेल आदि सामान (जहां पर बार-बार हाथ लगते हैं) को भी साफ करते रहना चाहिए।
- मुंह, नाक, आंखों को बार-बार हाथ नहीं लगाना चाहिए।
 
इसी प्रकृति का है वायरस..
इंफ्लूएंजा वायरस अपने लक्षण दर्शाता है। वास्तव में यह अपनी प्रकृति बदलता रहता है। इस बार डब्ल्यूएचओ ने तीन नए प्रकृति के वायरस बताए हैं। अब भारत में इसकी पुष्टि जांचों के बाद ही होगी। तब तक वही दवाओं से इलाज होगा।
- डॉ. संजय धानुका, सीनियर इंटेन्सिव केयर फिजिशियन
 
न पुष्टि, न ही जांच..
हमारे यहां पर केवल एच1एन1 के वायरस की जांच की सुविधा है। एच7एन9 और एच3एन2 के वायरस हैं जरूर लेकिन भारत में इनके आने की पुष्टि नहीं हुई है और न ही इनकी जांच की सुविधा हमारे पास है।
- डॉ. आशा पंडित, प्रभारी - आईडीएसपी इंदौर
 
ये हैं लक्षण
 
स्वाइन फ्लू            एविएशन फ्लू
ठंड लगना व बुखार                बुखार
गले में खराब व खांसी खांसी
गंभीर सिरदर्द                  बलगम के साथ खून आना
कमजोरी व मांसपेशियों में दर्द थकान व मांसपेशियों में तकलीफ

दोनों में निमोनिया और एआरडीएस
एच7एन9 और एच3एन2 के गंभीर रोगियों में एच1एन1 की तरह ही निमोनिया होकर आॅक्सीजन की कमी होने लगती है और एआरडीएस यानी एक्यू रेसपिरेसी डिस्ट्रेस सिंड्रोम हो जाता है। यह इसका सबसे गंभीर रूप है। यह फेफड़े सफेद कर देता है। मरीज को वेंटिलेटर पर रखना पड़ता है। एआरडीएस विकसित होने के बाद बचने की संभावना कम हो जाती है। भारत में अभी जो मौतें हुई है उनमें निमोनिया और एआरडीएस  ही हुआ है। एच1एन1 और एच7एन9 के लक्षणों में कई समानताएं हैं। दोनों में बुखार आता है और खांसी होती है। इसके बाद मरीज निमोनिया और फेफड़ों में तकलीफ की शिकायत करता है। दोनों ही वायरस के अटैक के कारण मरीज को वेंटिलेटर पर रखना होता है। 
 
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »