- रफी मोहम्मद शेख
इंदौर। प्रदेश के सभी विभाग में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा शुरू की गई सीएम हेल्पलाइन में हुई गलत शिकायतों का निराकरण अब जबरन नहीं, बल्कि शिकायतकर्ता को संतुष्ट कर किया जाएगा। उच्च शिक्षा विभाग से संबंधित शिकायतों के संबंध में आयुक्त ने यह निर्णय लेकर सभी को निर्देशित किया है। इससे पहले पूर्व आयुक्त ने सीएम हेल्पलाइन के मामलों को प्राथमिकता से हल करने के निर्देश तो दिए थे, किंतु गलत शिकायतों को अपने स्तर पर ही खत्म करके संख्या कम करने कहा था। उच्च शिक्षा विभाग ने अपने अंतर्गत आने वाली यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों में सीएम हेल्पलाइन से संबंधित शिकायतों के निराकरण नहीं होने के बढ़ते प्रकरणों पर चिंता जताई
सीएम ने जताई थी नाराजगी
मुख्यमंत्री और उनके कार्यालय द्वारा सीएम हेल्पलाइन में काफी दिनों से चल रही शिकायतों के निराकरण नहीं कर नाराजगी जताकर संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई करने के निर्देश जारी किए गए हैं। इसके बाद उच्च शिक्षा विभाग ने भी अपने
मातहतों को इसके लिए चेतावनी जारी है। सीएम कार्यालय द्वारा यह भी साफ किया गया है कि कई शिकायतों को सीधे गलत बताकर उनको खत्म किया जा रहा है, जो गलत है। इन मामलों में पूरा स्पष्टीकरण दिया जाना चाहिए।
लेवल फोर तक पेंडिंग
विभाग के आला अफसरों ने सीएम हेल्पलाइन से संबंधित शिकायतों की समीक्षा करने के बाद पाया कि लेवल 4 यानी उच्च स्तर पर भी कई शिकायतें पेंडिंग है। इसमें अधिकांश प्रकरण एडमिशन, मार्कशीट, रिजल्ट, स्कॉलरशिप, पेंशन, गेस्ट फैकल्टी की नियुक्ति, भुगतान, कर्मचारियों व अफसरों के वेतन के है। आयुक्त के अनुसार इसके लिए विभाग के आला अधिकारी दोषी है, बल्कि लेवल 1, लेवल 2 और लेवल 3 के अधिकारी भी जिम्मेदार है।
तो बार-बार नहीं होगी
उधर, उन्होंने साफ किया है कि किसी भी शिकायत को सीधे ही निराकृत नहीं किया जाए, बल्कि शिकायतकर्ता को बुलाकर बताया जाएगा कि उसकी शिकायत गलत है या फिर नियमों के अनुसार उसका यह कोई अधिकार नहीं हैं। इससे यह शिकायतें बार-बार नहीं होगी और अंतिम निराकरण हो जाएगा। वहीं, जिन संभागों में ज्यादा प्रकरण पेंडिंग है, उन्हें शिविर लगाकर इन प्रकरणों को खत्म करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके लिए अगली समीक्षा बैठक तक यानी महीने के पहले सोमवार तक की मोहलत दी गई है। इसके बाद संबंधितों पर कार्रवाई की जाएगी।
आयुक्त बदलने से बदले समीकरण
उधर, इससे पहले एमबी ओझा जब विभाग के डायरेक्टर और आयुक्त बने थे, तब उन्होंने सभी प्रकरणों का स्पष्टीकरण उनके सामने प्रस्तुत करने को कहा था। वहीं, ऐसे मामलों की जानकारी भी देने को कहा है। इसमें निराकरण होने के बाद भी शिकायतकर्ता जानबूझकर शिकायतें कर रहा है या संतुष्ट नहीं होने की बात कह रहा है। ऐसे प्रकरणों को जबरन बंद करने के लिए कहा गया था, ताकि लिस्ट में यह बार-बार नहीं दिख सकें, जबकि नए आयुक्त नीरज मंडलोई ने इसका तार्किक समाधान करने को कहा है।