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शहर के गोल्डन बाबा नहीं हैं बप्पी लहरी से कम

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Aug 31 2017 12:33PM | Updated Date: Aug 31 2017 12:33PM
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नेहा जोशी मराठे-  

इंदौर। वो जहां से भी निकलते है बरबस ही लोग उनकी तरफ आकर्षित हो जाते हैं या सिर्फ उन्हें और उनकी गाड़ी को निहारते रहते हैं । उनके जाने के बाद लोगों के बीच यह चर्चा का विषय बन जाता है। उनके दोनों हाथों की अंगुलियों में मोटी-मोटी सोने की अंगूठियां, गले में रूद्राक्ष और सोने की भारी भरकम चैन है, वे बप्पी लहरी से कम नहीं लगते। वे खुद को शहर का गोल्डन बाबा कहते हैं। हम बात कर रहे हैं उस्ताद मानसिंह उर्फ गोल्डन बाबा की। वे अपने आप में ही कुछ खास हैं, जितने वो खास हैं उतनी ही उनकी गाड़ी भी खास है। 

हो गई धुन सवार
गोल्डन बाबा जहां से भी गुजरते हैं लोग उनके बारे में बात करने लगते हैं और करें भी क्यों ना? आखिर उनकी गोल्डन मेस्ट्रो है ही इतनी अनोखी। उनका गोल्डन बाबा बनने का जुनून गाड़ी पर साफ नजर आता है। गाड़ी के साइड ग्लास हों या फुटरेस्ट सभी को उन्होंने गोल्डन कर रखा है। वे करीब दो सालों से अपनी खास गाड़ी से इंदौर का भ्रमण करते हैं। उनकी इस गाड़ी में साइड मिरर से लेकर साइड स्टैंड तक पीतल पर सोने की पॉलिश किया हुआ है। 

खुद को दिखाना है खास 
अगर किसी व्यक्ति को पैथोलॉजिकल यानी (बीमारी) प्रॉब्लम होती है, तो उसे मूड डिसआॅर्डर में नैनिक हाइपो मेनिया कहा जाता है, इसमें व्यक्ति खुद को कुछ अलग दिखाने की कोशिश करता है। उसके सोच-विचार बड़े होने लगते हैं। वो अपनी लाइफ एंजॉय करता है, अगर वही बीमारी का रूप ले ले तो व्यक्ति गुस्सेल हो जाता है और उसमें साइकोलॉजिकल लक्षण दिखने लगते हैं। वहीं कुछ लोग अपने आपको समाज में दिखाने के लिए या तो पॉजिटिव काम करते हैं या नेगेटिव और जो लोग ये दोनों ही काम नहीं करते वे कुछ ऐसा करते हंै कि लोग उनकी तरफ आकर्षित हों। जैसे बप्पी लहरी गाना तो अच्छा गाते हैं, लेकिन उन्हें सोने के गहने पहनने का बेहद शौक है। 
-डॉ. संजीव त्रिपाठी, साइकोलॉजिस्ट 

पत्नी की याद में बनवाई गाड़ी
उस्ताद ने बताया कि वे एक बार हनुमान मंदिर के लिए मुकुट बनाने गए थे तब उन्होंने अपनी गाड़ी के साइड ग्लास में पीतल पर सोने की पॉलिश करवाकर लगाया। उसके बाद तो धुन ही सवार हो गई, फिर हैंडल ग्रिप, डिक्की, आगे का मडगार्ड, पीछे का मडगार्ड विथ नेम प्लेट, साइलेंसर, सीट कवर, पूरी बॉडी गोल्डन करवा ली। यही नहीं गाड़ी के नाम के पास शेर का खूबसूरत चित्र बनाकर लगवाया। वो गाड़ी किसी भगवान के रथ से कम नहीं दिखती। वे कहते हैं उन्होंने यह गाड़ी अपनी पत्नी की याद में बनाई है। उनके घरवाले उन्हें गोल्डन गाड़ी बनाने के लिए मना करते थे, लेकिन उन्होंने उनकी बात नहीं मानी और पूरी गाड़ी को गोल्डन कर दिया। उन्हें अपनी गोल्डन गाड़ी से घूमने में जो मजा आता है, वो किसी और गाड़ी में नहीं आता। सुबह से वे उस गाड़ी पर सवार होकर अपने दोस्तों से मिलने निकल जाते हंै और दोपहर में घर लौटकर आराम करने के बाद फिर उसके साथ सफर शुरू कर देते हैं। 

 

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